बड़ी ख़बर, उत्तराखंड : नन्हीं बबीता के सामने पहाड़ सा दर्द (पढ़िये इसकी पीड़ा)

⏩ पढ़ना चाहती है हालातों की मारी महज 08 साल की यह बिटिया
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
हालातों की मारी इस नन्ही बालिका का दर्द बहुत बड़ा है, लेकिन उसे महसूस करने वाला कोई नहीं है। कक्षा 08 में पढ़ने वाली यह बालिका बबीता है, जिसे गरीबी और पारिवारिक परिस्थितियों ने बहुत प्रभावित किया है। हालत यह है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ उसकी कापी, किताब, कपड़े आदि भी स्वजनों ने जला दिए हैं।
दरअसल, यह बालिका कमद गांव की बबीता कालाकोटी है, जिसका एकमात्र सपना अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए भविष्य में बड़ा अधिकारी बनने का है, किंतु वह घर से परेशान है। हर तरफ से परेशान होकर इस बालिका ने एक पत्र मुख्य शिक्षाधिकारी को लिखा है, जिसे पढ़कर इसकी पीड़ा का अहसास होता है। पत्र में उसने पढ़ाई के लिए मदद की गुहार लगाई है। कहा कि यदि उसे शिक्षा विभाग से मदद नहीं मिली तो उसका जीवन अंधकारमय हो जाएगा।
बता दें कि आज सोमवार को पुंगरघाटी के कमद गांव निवासी आठ वर्षीय बबीता ने मुख्य शिक्षाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। कहा कि वह कक्षा आठ की छात्रा है। वर्तमान में बालिका इंटर कालेज दोफाड़ में पढ़ रही है। घरेलू परेशानी के कारण वह विद्यालय में चार या पांच दिन ही जा पाती है। उसके माता-पिता मानसिक रूप से बीमार हैं। उसका पालन पोषण स्व. दादी कुसमा देवी ने किया। उन्हें पारिवारिक पेंशन मिलती थी, लेकिन चार माह पूर्व उनका देहांत हो गया है। वह अपनी बुआ के साथ रहती है। लगभग एक माह से बुआ की मानसिक स्थिति भी अत्यधिक खराब चल रही है। उनके परिवार में कोई भी सदस्य स्वस्थ्य नहीं है, जिससे उसका पठन-पाठन पर असर पड़ रहा है।
बबीता ने कहा कि वह पढ़ना चाहती है और उसे कस्तूरबा गांधी आवसीय विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाए। उसके पास बीपीएल कार्ड भी नहीं है। बीते दिनों उसके स्वजनों ने उसके कापी, किताब, कपड़े आदि भी जला दिए हैं। उसे कमरे में बंद कर दिया जाता है और कभी वह रात को भी अकेले रहती है। निश्चित रूप से इस बालिका की पीड़ा बहुत बड़ी है और अगर उसे शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों व समाज की मदद मिल जाये तो वह भी अन्य भाग्यशाली बच्चों की तहर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकती है।