देश को पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने की हो रही है साजिश ! कृषि बिल पर केंद्र पर भड़के कुंजवाल, अल्मोड़ा में प्रेस वार्ता

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ापूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों को कृषि मंडियों को समाप्त करने वाला और…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों को कृषि मंडियों को समाप्त करने वाला और घोर किसान विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह के कानूनों से गरीबों और अमीरों के बीच खाई और अधिक बढ़ेगी।
कुंजवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार इस तरह के बिल पास कर पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है। जिसके खिलाफ सारे देश के किसान संगठन आज एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। स्वयं आरएसएस का किसान संगठन भी इन बिलों की खिलाफत कर रहा है। कुंजवाल ने कहा कि यह सरकार देश को पूंजीपतियों के हाथों में गिरवी रखना चाह रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य एनएचपी को खत्म करने का षड्यंत्र रचा है। अब किसान निजि कंपनियों के हाथ लुटने के लिए विवश हैं। अब तक जो देश में मंडियां थीं उसमें कई सरकारी कर्मचारी काम करते थे तो यह सब भी खत्म हो जायेगा। अब एकमात्र मुनाफ निजि हाथों में जायेगा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को इस कोविड महामारी के दौर में आनन—फानन में इस तरह का किसान विरोधी अध्यादेश लाने की क्या जरूरत पड़ गई थी। सरकार ने आज तक इस बारे में कुछ भी अस्पष्ट नही किया है। उन्होंने श्रम विधेयक पास होने पर राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि नया श्रम कानून अधिनियम 2020 श्रमिक विरोधी है। इस तरह का कानून सिर्फ मालिकाना वर्ग के हित में है। अब कोई भी मालिक किसी भी श्रमिक को कभी भी निकाल सकता है। उन्होंने सरकार के मानसून सत्र पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने सत्र को मात्र एक दिन चलाकर अपनी सारी नाकामियों को छिपाने का प्रयास किया। पहले तो इसमें प्रश्नकाल ही समाप्त कर दिया। दूसरा सभी को कोरोना के भय से डराया गया और 65 से अधिक आयु के जनप्रतिनिधियों को शामिल नही होने दिया गया। मात्र कोरम पूरा करने के लिए वर्चुअल माध्यम से यह सत्र चलाया, जो सरकार की नाकामयाबियों का नमूना है। प्रेस वार्ता में कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीताम्बर पान्डेय, नगर अध्यक्ष पूरन सिंह रौतैला, महिला जिलाध्यक्ष लता तिवारी, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष तारा चन्द्र जोशी, जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक, जिला सचिव दीपांशु पान्डेय, क्षेत्र पंचायत सदस्य शेखर जोशी, रमेश बिष्ट, भैरव दत्त, मनोज रावत आदि उपस्थित रहे।

भूमि सुधार प्रक्रिया को खत्म करने की साजिश है यह बिल
कुंजवाल ने कहा कि यह कोई एग्रीकल्चर रिफार्म नहीं है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य उद्योगपतियों के लिए थोक खरीद करना, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग/टारगेट फार्मिंग करना,किसानों की जमीन का अधिग्रहण करना, कृषि को लाइसेंस मुक्त करना ,कृषि में एफडीआई का रास्ता साफ करना, कृषि की सारी सब्सिडी खत्म करना, एग्रीकल्चर टैक्स का रास्ता बनाना, सट्टा ट्रेडिंग के बाजार को व्यापक बनाना, एफसीआई को लगभग प्रभावहीन कर देना तथा भूमि सुधार प्रक्रिया को खत्म कर देना है।

अघोषित मोनोपोली की ओर बढ़ रहा देश
कुंजवाल ने कहा कि यदि यह बिल अच्छा है तो अध्यादेश लाने से पहले सरकार ने सदन में इस बिल की चर्चा करानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि जब किसान ही बिल के खिलाफ है तब बिल की अच्छाई पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। कहा कि भारत मे रिटेल व्यापार एक ‘अघोषित मोनोपोली’ की ओर बढ़ रहा है। भारत में जनता की सोशल सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, जॉब सिक्योरिटी खत्म की जा चुकी है। ये कृषि बिल जनता की ‘फूड सिक्योरिटी’ और ‘राइट टू फूड’ को खत्म कर देगा।

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