— प्रशिक्षण शुरू, 20 बालिकाएं ले रही तालीम
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
टैक्सटाइल प्रिंटर के तहत कुमाऊंनी ऐपण कला का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। जिसमें 20 बालिकाओं ने प्रतिभाग किया। वह कुमाऊंनी ऐपण कला को सीख कर स्वरोजगार करेंगी।
जन शिक्षण संस्थान के निदेशक डा. जितेंद्र तिवारी ने कहा कि ऐपण कला को धार्मिक एवं सांस्कृतिक लोक कला के तहत जीआइ टैग मिला है। बालिकाएं कला की बारीकियां सीख कर हुनर को निखारेंगे। कुमाऊं की ऐपण कला की देश-विदेश में मांग भी है। वह इसे स्वरोजगार का जरिया भी बना सकेंगे। प्रशिक्षक कचंन उपाध्याय ने कहा कि पूजा कक्ष से लेकर संस्कार संपन्न कराने में ऐपण का महत्व है।
ऐपण से विभिन्न यंत्र और अभिरूप बनाने की परंपरा है। चावल, गेरू, गेहूं का आटा, सूखी मिट्टी के रंग, रोली, हल्दी आदि का प्रयोग ऐपण बनाने में किया जाता है। भारतीय चित्रकला की विशेषता है। रेखाएं ही मूल रूप से लयबद्ध होकर किसी भी आकार का रूप देती है। ऐपण कला के तहत चौकियों, पूजा की थाली, गमछे, जूट के बैग, फ्रेम आदि डिजायन सीखाए जा रहे हैं। इस दौरान कार्यक्रम अधिकारी चंदू नेगी, मास्टर ट्रेनर पूजा त्रिपाठी, कंचन उपाध्याय, नीमा, भावना, नीलम आदि मौजूद थे।