लालकुआं न्यूज : किसान सभा ने फूंकी कृषि बिलों की प्रतियां, नारेबाजी

लालकुआं। मोदी सरकार द्वारा वर्तमान संसद सत्र में किसानों से संबंधित 3 अध्यादेश पारित करने के विरोध में पूरे देश मे किसानों द्वारा बुलाये गए…

लालकुआं। मोदी सरकार द्वारा वर्तमान संसद सत्र में किसानों से संबंधित 3 अध्यादेश पारित करने के विरोध में पूरे देश मे किसानों द्वारा बुलाये गए बन्द के समर्थन में अखिल भारतीय किसान महासभा ने बिन्दुखत्ता में भी शारीरिक दूरियों का पालन करते हुए प्रदर्शन कर तीनों किसान विरोधी अध्यादेशों की प्रतियां फूंकी गई।
कार रोड बाजार में हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव राजेन्द्र शाह ने कहा मोदी सरकार द्वारा वर्तमान सत्र में संसद में पारित तीनों अध्यादेश किसान विरोधी होने के साथ साथ जन विरोधी भी हैं। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम में आलू,प्याज,तिलहन,दलहन,तेल जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं को किसी भी व्यक्ति या कंपनी द्वारा स्टॉक करने की सीमा को खत्म कर दिया है। जिससे इन आवश्यक खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी और महंगाई बढ़ेगी जो आम जनता के लिए खतरनाक है। “कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020” में किसानों की उपज को मंडियों के बाहर बिना किसी समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए खरीद की व्यवस्था की है और खरीददारों को सरकारी कर से भी छूट दी गई है। किसान और खरीददार के बीच विवाद के लिए किसी न्यायालय ने जाने की व्यव्यस्था इस अधिनियम में नही है। जिससे साफ है यदि खरीददार कोई कंपनी है तो सरकारी अधिकारी कंपनी के पक्ष में ही फैसला देंगे। तीसरा अधिनियम “मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा संबंधी किसान समझौता (सशक्तिकरण एवं सुरक्षा) अध्यादेश 2020” है जो कि किसानों को पूंजीपतियों की शर्तों पर ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी जामा पहना देगा। जो किसानों का पूंजीपतियों द्वारा सीधे शोषण का जरिया बन जायेगा। ये तीनों अध्यादेश किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बना देंगे। इसी के विरोध में आज पूरे देश मे किसान और उनके संगठनों ने देश बंद का आव्हान किया है। एक ओर तो मोदी सरकार कॉर्पोरेट को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा दिलाने के लिए किसानों के विरोध में अध्यादेश ला रही है, साथ ही विपक्ष को संसद में चर्चा-बहस करने से रोक रही है। सीधी सी बात है है कि मोदी सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों के हितों के लिए इस कदर अंधी हो चुकी है कि संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को भी खत्म करने से नही हिचक रही है।
संबोधन के बाद तीनों अध्यदेशों की प्रतियां जलाई गई और तीनों अध्यदेशों को वापस लेने की मांग की गई।
इस दौरान भुवन जोशी,आनंद सिंह सिजवाली, नैन सिंह कोरंगा, विमला रौथाण, शांति देवी, हरीश टम्टा, पान सिंह कोरंगा, नैन सिंह, गोविंद कोरंगा, नारायण सिंह, धीरज, सचिन, ललित मटियाली, नारायण नाथ, हरीश भंड़ारी, त्रिलोक राम, पनिराम, विजयपाल, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह कुंवर, आन सिंह जग्गी आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।

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