किच्छा न्यूज़ : ठेका मजदूरों की छटनी को लेकर राज्यपाल को लिखा पत्र

किच्छा। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. गणेश उपाध्याय ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय पंतनगर में पिछले 18-20 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे ठेका मजदूरों की छटनी पर रोक लगाने व आजीविका बचाने के संबंध में पत्र लिखकर कार्यवाही किए जाने का आग्रह किया। डॉ. उपाध्याय ने पत्र के माध्यम से कहा कि विश्वविद्यालय के बजट में 60 प्रतिशत की कटौती की गई है, पहले जो बजट 30 करोड वार्षिक मिलता था, उसमें 18 करोड़ की कटौती की गई है तथा मात्र 12 करोड़ ही जारी किया गया है, इस वजह से कम खर्च में काम कराने के नाम पर 1800 ठेका मजदूरों को 1 जुलाई 2020 से नौकरी से निकाले जाने की कार्यवाही की जा रही है।
डॉ. उपाध्याय ने कहा कि जहां एक तरफ उत्तराखंड राज्य प्रवासियों को रोजगार देने की बात करती है, वही दूसरी ओर रोजगार कर रहे कर्मचारियों को बेरोजगार किया जा रहा है, जो न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि एक समय विश्वविद्यालय में 7000 कर्मचारी स्थाई पदों पर कार्यरत थे, इन्हें शासन द्वारा सृजन नहीं किया गया तथा सेवानिवृत्त होने के साथ यह पद भी समाप्त हो गए है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के बजट कटौती के कारण अल्प वेतनभोगी, ठेका मजदूरों की छटनी से विश्वविद्यालय की कार्य क्षमता एवं अध्ययनरत छात्रों के पालन-पोषण उनके भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, तथा पूरे देश के खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने वाले हजारों छात्र किसी वैज्ञानिक को तैयार करने वाली हरित क्रांति की जननी पंतनगर विश्वविद्यालय में खुद बर्बाद करने की साजिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यही नहीं विश्वविद्यालय की बदहाली से आम गरीब छात्रों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा यह उच्च शिक्षा हासिल करने से दूर हो जाएंगे, ऐसे में विश्वविद्यालय के बजट में कटौती और ठेका मजदूरों को हटाने की चल रही कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है व पूर्व में की गई कटौती को पुनः बहाल करने की जरूरत है। उपाध्याय ने कहा कि जहां उत्तराखंड सरकार 200 करोड़ रूपया भारी सब्सिडी देकर पहाड़ पर इन शराब कंपनियों को उभारा जा रहा है वहीं विश्वविद्यालय पंतनगर को मात्र 30 करोड़ का बजट नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा शराब सब्सिडी के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें शराब कंपनियों को करोड़ों की सब्सिडी बंद कर, आम जनता के धन को जन कल्याणकारी कामों पर खर्च करने की मांग की गई है।
इस बावत माननीय खंडपीठ ने सरकार के विभागों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। वहीं पंतनगर विश्वविद्यालय में उलटी गंगा बह रही है और केंद्र सरकार के उपरोक्त घोषणा पत्र को देखकर हवा-हवाई साबित हो रही है, महामारी के समय में मजदूरों को आर्थिक मदद देना तो दूर की बात है, राज्य सरकार द्वारा बजट में कटौती व्यापक पैमाने पर की जा रही है।