Almora News: चौतरफा बेहतरी के लिए सतत विकास से जुड़ें—डीडीओ

—ब्लाक स्तरीय कार्यशाला में पंचायतों व रेखीय विभागों ने समझी बारीकियां(जानिए—सतत विकास के लक्ष्य व फायदे)सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ासतत विकास लक्ष्य के स्थानीयकरण विषय पर आज…

—ब्लाक स्तरीय कार्यशाला में पंचायतों व रेखीय विभागों ने समझी बारीकियां
(जानिए—सतत विकास के लक्ष्य व फायदे)
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

सतत विकास लक्ष्य के स्थानीयकरण विषय पर आज विकासखंड लमगड़ा में ब्लाक स्तरीय कार्यशाला नियोजन विभाग के सौजन्य से हुई। जिसमें पंचायत प्रतिनिधियों व रेखीय विभागों को विस्तार से सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के 17 लक्ष्य और 169 विशिष्ट लक्ष्य समझाए गए और इन लक्ष्यों की पूर्ति में पंचायतों व रेखीय विभागों की भूमिका पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। नोडल अधिकारी/जिला विकास अधिकारी केएन तिवारी ने कहा कि बेहतरी के लिए सतत विकास के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आगे आएं।

नोडल अधिकारी/जिला विकास अधिकारी केएन तिवारी ने कहा कि सतत विकास बड़ा ही महत्वपूर्ण है। जिसे कारगर बनाकर ग़रीबी मिट सकती है और भुखमरी समाप्त हो सकती है। इसके अलावा गुणवत्तायुक्त व समान शिक्षा, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, पर्यावरण संतुलन, सहज न्याय व्यवस्था के क्षेत्र में काफी कुछ हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की पूर्ति वर्ष 2030 तक हासिल करना है। श्री तिवारी ने बताया कि नीति आयोग भारत सरकार द्वारा राज्यों में रैंकिंग निर्धारण किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानों से मनरेगा से ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर बनाने का आह्वान किया, ताकि पर्यावरण संरक्षण में ये सरोवर मददगार साबित हों और भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने में सहयोगी बनें।कार्यशाला में जिला पंचायत सदस्य देवकी देवी, ज्येष्ठ उप प्रमुख दीवान सिंह बोरा, कनिष्ठ प्रमुख किसन सिंह, प्रभारी खंड विकास अधिकारी जगत सिंह मेहरा, एबीडीओ देशराज, सहायक ADESTO उदित वर्मा समेत ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व अन्य रेखीय विभाग के अधिकारी शामिल हुए।
जानिये क्या है SDGs

सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) भविष्य के अंतरराष्ट्रीय विकास संबंधित लक्ष्य है यानी सतत विकास के लिए उनको संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाया गया है और वैश्विक लक्ष्यों के समान प्रचारित किया गया है। वर्ष 2015 के अंत में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के निरस्त होने पर ये लक्ष्य प्रतिस्थापित हुए। यह लक्ष्य वर्ष 2015 से वर्ष 2030 तक तय किये गये हैं। उन लक्ष्यों के लिए 17 लक्ष्य और 169 विशिष्ट लक्ष्य हैं। इससे पहले सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल) के प्रस्ताव वर्ष 2000 में हुई संयुक्त राष्ट्रसंघ के जनरल असेंबली की बैठक पारित किए गए थे। इसके लक्ष्यों को वर्ष 2015 तक प्राप्त कर लेना था और इसमें 8 लक्ष्य शामिल थे। इसके बाद सतत विकास का लक्ष्य यूएन में लिया गया। जिसे हर हाल में वर्ष 2030 तक हासिल करना है। यह एजेंडा पहली जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ है।
इस बार उत्तराखंड तीसरा

इस बार इस रिपोर्ट में 17 लक्ष्यों पर 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रदर्शन का आकलन किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार यदि बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारत के पांच टॉप राज्यों की बात करें, तो केरल प्रथम, हिमाचल प्रदेश व तमिलनाडु दूसरे, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक व उत्तराखंड तीसरे, सिक्किम चौथे और महाराष्ट्र पांचवें नंबर पर है।
सतत विकास लक्ष्य
सतत विकास के लख्यों में विश्व से गरीबी के सभी रूप समाप्त करना, भूख मिटाना, खाद्य सुरक्षा, बेहतर पोषण व टिकाऊ कृषि को बढ़ावा, स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा, समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना, लैंगिक समानता के साथ महिलाओं व लड़कियों को मजबूत बनाना, स्वच्छता और पानी का प्रबंधन, सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाना, सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार, लचीले बुनियादी ढांचे सुनिश्चित करना, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा, देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना, टिकाऊ शहर व मानव बस्तियों का निर्माण, स्थायी खपत व उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटना, महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग, स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकना, सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देना तथा वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।

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