अच्छी खबर : आईटी रिटर्न की डेट 30 सितंबर तक बढ़ी, और भी जानें सरकार ने क्या सहूलियतें दी लोगों को

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज…

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के विस्तार के बारे में पहले फेस की चर्चा मीडिया के साथ की।
उन्होंने बताया कि इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ा दी गई है। इसे 30 सितंबर कर दिया गया है। इसी तरह विवाद से विश्‍वास स्‍कीम की डेडलाइन को 31 दिसंबर 2020 तक कर दी गई है। पहले ये 30 जून तक के लिए था।
टैक्‍सपेयर्स को 31 मार्च 2021 तक टीडीएस कटौती में 25 फीसदी की राहत मिली है। बता दें कि सरकार टीडीएस (TDS) के जरिये टैक्स जुटाती है। टीडीएस विभिन्न तरह के आय के स्रोत पर काटा जाता है। इसमें सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि शामिल हैं।
रियल एस्टेट के मामले में एडवाइजरी जारी होगी कि सभी प्रोजेक्ट्स को मार्च से आगे 6 महीने तक मोहलत दी जाए।
डिस्कॉम यानी बिजली वितरण कंपनियों की मदद के लिए इमरजेंसी लिक्विडिटी 90,000 करोड़ रुपये दी जाएगी।
नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए 30,000 करोड़ की विशेष लिक्विडिटी स्कीम लाई जा रही है। इससे नकदी का संकट नहीं रह जाएगा।
एनबीएफसी को 45,000 करोड़ की पहले से चल रही योजना का विस्तार होगा। वहीं आं​शिक ऋण गारंटी योजना का विस्तार होगा, इसमें डबल ए या इससे भी कम रेटिंग वाले एनबीएफसी को भी कर्ज मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार अब अगस्‍त तक कंपनी और कर्मचारियों की तरफ से 12 फीसदी + 12 फीसदी की रकमर् पीएफओ में जमा करेगी। इससे करीब 75 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और संस्थाओं को फायदा मिलेगा। मतलब ये कि इस सुविधा को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें हैं। सरकार की इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी है और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है। यानी 15 हजार से ज्यादा तनख्वाह पाने वालों को इसका फायदा नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों का 12 फीसदी की जगह 10 फीसदी ईपीएफ कटेगा। हालांकि पीएसयू में 12 फीसदी ही ईपीएफ कटेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की परिभाषा बदल दी गई है। इसमें निवेश की लिमिट में बदलाव किया गया है। 1 करोड़ निवेश या 10 करोड़ टर्नओवर पर सूक्ष्म उद्योग का दर्जा दिया जाएगा।
इसी तरह 10 करोड़ निवेश या 50 करोड़ टर्नओवर पर लघु उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। वहीं 20 करोड़ निवेश या 100 करोड़ टर्नओवर पर मध्यम उद्योग का दर्जा होगा।

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