हल्द्वानी। ऐक्टू के राष्ट्रीय आह्वान पर हल्द्वानी में अपने ही घर में दो दिवसीय भूख हड़ताल के दूसरे दिन भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “देहरादून, बनारस से तीर्थ य़ात्रियों को सरकारी बसों मे भरकर गुजरात और देश के विभिन्न कोनों तक पहुँचाया जा रहा है, कोटा से छात्रों को लाने के लिए सरकारी बसें जा सकती हैं पर मजदूरों को पैदल भी आने पर पीटा गया और जो आना चाहते हैं उन्हें सूरत, मुंबई, दिल्ली, लुधियाना सहित देश के विभिन्न हिस्सों मे पीटकर उल्टे उनपर ही मुकदमे भी लिखे जा रहे हैं। न तो उनके खाने की सरकार कोई व्यवस्था कर रही है और न ही उन्हें आने दे रही है, लाखों मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुये हैं और भूख से छटपटा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि, “भाकपा (माले) मजदूरों की समस्याओं और तड़प से सरकार को लगातार अवगत कराती रही है । लेकिन कोई राहत और सन्तुष्टपूर्ण कदम न उठाये जाने पर ऐक्टू और भाकपा (माले) ने देश भर में दो दिन की भूख हडताल शुरूआत की। यदि सरकार तत्काल प्रभाव से प्रवासी मजदूरों को भोजन, भत्ता के साथ जांच के बाद उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था नहीं करती है तो हम संघर्ष के अन्य रुप अख्तियार करने के लिए बाध्य होंगे।”
भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “इस समय लाकडाउन के समय में कोरोना वायरस से लड़ने वाले अधिकांश सफाई, मेडिकल कर्मचारी, आशा वर्कर्स संविदा-ठेका-पारिश्रमिक पर कार्य करने वाले हैं। इन मजदूरों को सरकार बीमा पॉलिसी से कवर करे, व तत्काल राहत के रूप में न्यूनतम दस हजार रुपये प्रदान करे।”
उन्होंने यह भी मांग की कि, “वर्तमान समय में सभी प्राइवेट मेडिकल संस्थानों को सरकारी घोषित किया जाय।”
साथ ही आज भारत के प्रधानमंत्री को प्रवासी व असंगठित मजदूरों के साथ एकजुटता में अखिल भारतीय विरोध कार्यक्रम के माध्यम से ईमेल द्वारा ज्ञापन भेजा गया, जिसमें मांग की गई कि-
जिसमें कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों के लिये विशेष कार्य योजना घोषित करें।
प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित घर वापसी के लिए मुफ्त विशेष परिवहन की व्यवस्था करें। प्रवासी मजदूरों सहित सभी मजदूरों को 10,000 रुपये का लॉकडाउन राहत भत्ते का भुगतान करे। एक अन्य मांग के अनुसार सभी प्रवासी मजदूरों के वेतन और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उनके वेतन में कोई कटौती और छंटनी न की जाय। प्रवासी मजदूरों को उनके अभी के स्थान पर राशन, भोजन की होम डिलीवरी, और स्वच्छ आश्रय की व्यवस्था करें (वापसी तक) और साथ ही अन्य असंगठित श्रमिकों के लिए भी इसका प्रावधान किया जाय।
ट्रेड यूनियनों और इच्छुक नागरिकों को शामिल करके हर शहरी वार्ड और पंचायतों में लॉकडाउन राहत समितियों का गठन किया जाय और प्रवासी मजदूरों के खिलाफ पुलिस दमन पर रोक लगाई जाए।