सीएनई रिपोर्टर, कोटद्वार
यहां गश्त पर निकले वन कर्मियों ने अपने साहस की बदौलत टाइगर के हमले को भी नाकाम कर दिया। इस संघर्ष में एक वन कर्मी गम्भीर रूप से घायल भी हो गया, जिसे उपचार के लिए अस्पताल भर्ती किया गया है। इस घायल व्यक्ति ने बड़ी हिम्मत का परिचय देते हुए बाघ के मुंह में डंडा घुसा दिया, नहीं तो बाघ के हमले में इसके बचने की कोई उम्मीद भी नहीं थी।
जानकारी के अनुसार यह मामला आज मंगलवार की सुबह का है। यह घटना जनपद पौढ़ी गढ़वाल अंतर्गत कोटद्वार के कार्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ में घटित हुई है। बताया जा रहा है कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट की अदनाला रेंज की मुंडिया पानी बीट में तैनात वनकर्मी बृजमोहन आज सुबह अपने अन्य साथियों के साथ गश्त पर निकले। इसी बीच मुंडियापानी कक्ष संख्या 01 में अचानक एक बाघ ने उन पर हमला कर दिया।हमला इतना जानलेवा था कि वह जमीन पर गिर गये और बाघ उनके ऊपर चढ़ गया। ऐसी परिस्थिति में भी उन्होंने हिम्मत नहीं छोडत्री और टाइगर के मुंह में अपने हाथ में पकड़ा डंडा घुसा दिया।
साथी की इस हिम्मत को देखते हुए अन्य वन कर्मियों को भी जोश आ गया और उन्होंने भी शोर मचाते हुए बाघ पर लाठियों से प्रहार करना शुरू कर दिया। हालांकि बाघ इतना शक्तिशाली होता है कि उस पर लाठी—डंडों का कोई असर नहीं होता, लेकिन अप्रत्याशित रूप से हुए हमले पर वह सहम गया और अपने शिकार बने वन कर्मी को छोड़ जंगल की ओर भाग गया।
इसके बाद घायल वनकर्मी बृजमोहन को उसके सथी मुंडियापानी चौकी पहुंचे, जहां से उसे उपचार के लिए कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया है। संतोष की बात यह है कि घायल की हालत अब चिंता से बाहर है। इधर चिकित्सकों के अनुसार टाइगर ने वन कर्मी के सिर पर अपने पंजे गाढ़ दिये थे, जिस कारण गहरे जख्म हो गये थे और काफी खून बह रहा था। इधर वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बाघ शिकार के वक्त अकसर सर व गर्दन को निशाना बनता है। यदि बाघ वन कर्मी की गरदन दबोच लेता तो उसका बचना नामुमकिन था, लेकन यह वन कर्मी का साहस ही था, जिससे उसकी जान बच गई।