HC का बड़ा फैसला : आपसी रजामंदी से बने संबंध दुष्कर्म नहीं, आरोपी बरी

📌 महिला ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का लगाया था आरोप बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने अपने ऐतिहासिक फैसले में साल 2015…

📌 महिला ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का लगाया था आरोप

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने अपने ऐतिहासिक फैसले में साल 2015 के एक मामले में 67 वर्षीय व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। साथ ही कहा है आपसी सहमति से संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला देशभर में बड़े फैसले के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि देश में प्राय: दुष्कर्म के अधिकांश मामले ऐसे होते हैं, जहां निर्दोष लोग जेल की सजा काटने को विवश हो जाते है। सबसे ज्यादा मामले वह होते हैं, जहां पहले आपसी सहमति से संबंध बनते हैं। फिर अनबन होने पर महिला पुरूष के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप लगा देती है।

हाईकोर्ट ने यहां साल 2015 के एक मामले में सुनवाई करते हुए 67 वर्षीय व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि दो वयस्क लोगों के बीच यदि आपसी सहमति से रिलेशन बनता है तो इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता है।

बता दें कि एक 65 साल के व्यक्ति पर 2015 में 61 साल की महिला द्वारा उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने गत 04 मई को अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता महिला और 67 साल के आरोपी वर्ष 2005 से रिलेशन में थे। इन दो वयस्कों द्वारा आपसी समझ से संबंध बनाए जा रहे थे। अतएव आरोपी को बरी किया जाता है।

क्या था महिला का आरोप

शिकायतकर्ता महिला का आरोप था कि उक्त व्यक्ति वर्ष 2005 से 2015 तक उसके साथ संबंध बनाता रहा। वह उसे शादी का झांसा देता था, लेकिन बाद में मुकर गया। पुलिस ने उस व्यक्ति पर दुष्कर्म, छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दिया।
कोर्ट ने कही यह बात

मुंबई उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि दोनों ने वर्ष 2005 से 2015 तक सहमति से संबंध बनाए थे। जब प्राथमिकी दर्ज हुई थी तब शिकायतकर्ता महिला की उम्र 54 वर्ष थी और आरोपी की उम्र 60 साल थी। कोर्ट ने कहा कि “It was a relationship between two adults and on the face of it, it cannot be said at all that the physical relationship was without the consent of the woman or against her will.”

महिला को सब मालूम था

पीठ ने आगे कहा कि महिला बालिग थी और उसे अच्छी तरह मालूम था कि पुरुष पहले से ही शादीशुदा था। इसके बावजूद महिला ने उससे रिश्ता जारी रखा था। कोर्ट ने आगे कहा, “There is no evidence here to infer that the relationship between them was forced. This is also not a case where a young man induces a young woman to have a physical relationship on the pretext of marriage.”

एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थी महिला

जानकारी के अनुसार उक्त महिला पुणे के एक स्कूल में प्रधानाध्यापक थी। अपने पहले पति से तलाक के बाद उसने दूसरी शादी कर ली थी। पर उसके दूसरे पति की भी एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। अपने स्कूल में अध्यक्ष पद पर कार्यरत व्यक्ति से उसका मेल-जोल बड़ा और दोनों ने संबंध बनाने शुरू कर दिए थे। महिला व्यक्ति पर शादी का दबाव डाल रही थी, जबकि उसने साफ इंकार कर दिया था।

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