जगमोहन रौतेला
हल्द्वानी। “अखिल भारतीय किसान महासभा” और “अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा” के राष्ट्रीय आह्वान पर किसानों की ज्वलन्त मांगों पर राष्ट्रव्यापी मांग दिवस के समर्थन में आज यहां भाकपा (माले) द्वारा 12 घंटे की “भूख हड़ताल” लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने अपने घरों में रहकर की गई व प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे गए।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने इस अवसर पर कहा कि, “कोरोना महामारी के समय हुए लॉकडाउन को एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी रोज काम करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मजदूरों, प्रवासी मजदूरों, असंगठित मजदूरों, आम गरीबों व किसानों के लिए घर चलाने में भारी मुश्किल और किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। यह बेहद अफसोस की बात है कि सरकार इससे निपटने में नाकाम साबित हुई है। अभी भी अधिकांश गरीब व्यवस्थित सरकारी प्रयासों के स्थान पर लोगों और सामाजिक संस्थाओं के व्यक्तिगत प्रयासों पर ही मुख्यतः निर्भर हैं और यह भी गरीबों की बड़ी संख्या को देखते हुए नाकाफी साबित हो रहा है
उन्होंने कहा कि, कोरोना के समय जरूरत इस बात की है कि सभी लोग मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ें लेकिन कुछ लोग और संगठन इस वैश्विक बीमारी में भी हिंदू-मुस्लिम साम्प्रदायिकरण करने के एजेंडे को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं जो कि बहुत शर्मनाक है।”
साथ ही उन्होंने लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घर से ही गरीबों, मजदूरों की मांग उठाने वाले लोगों का पुलिस द्वारा दमन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “घर से ही मजदूरों के लिए राहत की मांग करने पर मुकदमा दर्ज किया जाना पूरी तरह अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक है, इस तरह का व्यवहार कतई अनुचित है, यह बंद होना चाहिये।”
इस अवसर पर प्रधानमंत्री से मांग की गई कि, ग्राम पंचायत स्तर पर एफसीआई, सहकारी समितियों या अन्य एजेंसियों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों-बटाईदारों की गेहूं,रबी, मक्के आदि फसलों की खरीद की गारंटी की जाय, ओलावृष्टि, तूफान, अतिवृष्टि, आगजनी और लॉकडाउन के कारण बर्बाद रबी फ़सलों का 20 हजार व फल सब्जी का 25 हजार रुपया प्रति एकड़ मुआवजा दो,सभी किसानों-बटाईदारों को इसका शीघ्र भुगतान करो, जन विरोधी बिजली सुधार कानून 2003 पर रोक व बिजली के निजीकरण की वर्तमान मुहिम बंद करो, भूख मिटाओ – कोरोना भगाओ, गरीबों-मजदूरों के लिए प्रर्याप्त भोजन-राशन का प्रबंध करो, कोरोनावायरस से हुई मौतों, लॉक डाउन के दौर में भूख और पुलिस उत्पीड़न से हुई मौतों पर परिजनों को 20 लाख मुआवजा दो, कोरोना काल में भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए, सामाजिक एकजुटता को मजबूत करो कोरोना महामारी को पराजित करो, सभी जिलों के बेस और जिला अस्पतालों में कोरोना जांच के लिए लैब, आईसीयू वार्ड और वेंटिलेटर का प्रबन्ध करो, कोरोना की जांच व इलाज की नि: शुल्क व्यवस्था करो।
इसके अतिरिक्त भाकपा (माले) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजकर राज्य सरकार से मांग की कि- सभी गरीबों को तीन माह का राशन तत्काल उपलब्ध कराया जाय, प्रवासी मजदूरों सहित सभी मजदूरों व कोरोना के फ्रंट वारियर्स आशा वर्कर्स को 10,000 रुपये का लॉकडाउन राहत भत्ते का भुगतान किया जाय, ग्रामीण मजदूरो को मनरेगा के तहत साल में 200 दिन के काम व प्रतिदिन 500 रूपया मजदूरी की गारंटी की जाय, प्रवासी मजदूरो को निःशुल्क घर भेजने की गारंटी की जाय, किसानों की गेंहू की फसल की खरीद की पूरी गारंटी सरकार ले, ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसल का पूर्ण मुआवजा किसानों को दिया जाय, कोरोना के किसी भी तरह के साम्प्रदायिक इस्तेमाल पर रोक लगायी जाय और इस तरह की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय, मजदूरों, गरीबों की आवाज़ उठाने वालों का दमन बंद किया जाय। लालकुआं में पछास के कार्यकर्ता महेश पर दर्ज मुकदमा बिना शर्त वापस लिया जाय।
आज के कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों में किसान महासभा के अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी, जिलाध्यक्ष कामरेड बहादुर सिंह जंगी, भाकपा माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, विमला रौथाण, ललित मटियाली, के पी चंदोला, गोविंद जीना, राजेन्द्र शाह, नैन सिंह कोरंगा, किशन बघरी, कमल जोशी, चंद्रपाल, गंगा देवी, परमानंद, परमवीर, धनी राम, पंकज, हयात राम, कुंदन सिंह, गंगा सिंह, नवीन, हेम चन्द्र, आलमगीर, अब्दुल गनी, नारायण सिंह, जगदीश, देवेंद्र, राम सिंह, यशपाल, गोपाल सिंह, हेमा, हरुली देवी आदि ने लॉकडाउन नियमों का पालन करते हुए अपने अपने घरों में रहते हुए धरना-भूख हड़ताल की।