HomeUttarakhandChampawatहर्ट टचिंग स्टोरी उत्तराखंड से : इस परिवार को नहीं प​ता कोरोना...

हर्ट टचिंग स्टोरी उत्तराखंड से : इस परिवार को नहीं प​ता कोरोना और लॉक डाउन के बारे में, दो जून की रोटी से बाहर सोच ही नहीं पाता दस सदस्यों का परिवार

लोहाघाट। विश्व वियापी कोरोना संकट, और एक महीने से अधिक लंबा लॉक डाउन। ऐसे में कौन होगा जो कोरोना महामारी और इसके संक्रमण को लेकर जानता नहीं होगा। लेकिन सामाजिक कार्यकत्री रीता गहतोड़ी और लोहाघाट के थाना प्रभारी मनीष खत्री ने एक ऐसा परिवार खोज निकाला है जो दुनिया के सिर पर मंडरा रहे मौत के इस खतरे से बिल्कुल अंजान है। कुल जमा दस लोगों के इस परिवार की प्राथमिकता लॉक डाउन से पहले भी दो समय की रोटी थी और लॉक डाउन में भी उनकी चिंता यही रोटी है। पैंसा तब भी नहीं था और अब भी नहीं है।

परिवार के साथ रीता


जहां यह परिवार रहता है उस गांव का नाम है बसौड़ी, बाराकोट ब्लाक में आता है यह गांव। पूरा गांव अनुसूचित जाति के लोगों का है। सो गांव की आर्थिक स्तर कल्पना से भी समझा जा सकता है। लेकिन जिस परिवार की बात हम कर रहे हैं उसके मुखिया हैं लगभग 55 वर्ष के खीम राम। खीमराम के दो बेटे और बेटियां हैं। बड़े बेटे की शादी हो गई है। उसके भी दो बच्चे हैं। मेहनत मजदूरी करके पिता पुत्र किसी तरह दस लोगों के इस परिवार का पेट भर रहे हैं। उस पर कुदरत का सितम यह कि पत्नी गोमती देवी मानसिक बीमारी का शिकार हो गई।

रीता ने नहलाने के बाद गोमती देवी के बाल बनाए और नए कपड़े पहनाए


घर में खाने को ही कुछ नहीं है तो बीमारी का इलाज कहां कराते इसलिए खीमराम ने सबकुछ उपर वाले के हवाले ही छोड़ दिया है। थाना प्रभारी मनीष खत्री व रीता गहतोड़ी जब इस घर पर पहुंचे तो यह देखकर हैरान रह गए कि इस परिवार के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। दोनों को परिवार के बारे में पहले से जानकारी मिल चुकी थी इसलिए कुछ कपड़े खाने का सामान और अन्य सामग्री साथ लेकर गए। लगभग 45 वर्षीय गोमती देवी की गोद में एक बच्चा था। बच्चा स्वस्थ नहीं दिख रहा। लगता है कुपोषण का शिकार हो गया। मां गोमती उसे गोद से नीचे नहीं उतारती। पूछने पर कभी बच्चे की उम्र सात साल बताती हैं तो कभी एक साल। लेकिन बच्चा एक डेढ साल से ज्यादा बड़ा नहीं दिखता। गोमती के बड़े बेटे का विवाह हो चुका है दो बेटियां भी जवान हैं। ऐसे में चौथा बच्चा…सब तरफ मौन…बाद में किसी ने बताया गोमती दिमागी रूप से ठीक नहीं थी तो घर से भाग जाया करती थीं।
रीता ने गोमती से बात शुरू की। तो वह जल्दी ही उनसे खुल गईं। रीता ने उनके नाखून काटे और नहालाने के बाद उन्हें साथ ले जाए गए कपड़े पहनाए। इसके बाद बाल बनाकर गोमती को सबके सामने लाईं। साथ ले जाए गए खिलौने बच्चे को दिए तो वह खिल उठा। बताया गा कि उसने कभी खिलौने नहीं देखे।
टीम अपने साथ दूध भी ले गई थी जब चाय बनाई गई तो गोमती ने गटागट अपने हिस्से की चाय पी ली। फिर बोली दूध की चाय नहीं मिलती…बहुत दिनों बाद पी। राशन सौंपे जाने के बाद गोमती ने इतना जरूर कहा कि दस्खत भी करने हैं क्या। पति खीमराम साथ में बैठे बस सबकुछ देखते रहे। पूछने पर भी इस परिवार का कोई सदस्य नहीं बता सका कि कोरोना क्या है। लॉक डाउन के बारे में भी किसी को मालूम नहीं था। उन्हें कोरोना और लॉक डाउन के बारे में बता कर टीम ने बीमारी से बचने के उपाय बताए और सोशल डिस्टेसिंग के बारे में जानकारी दी।
चंपावत के जिलाधिकारी ने जब रीता द्वारा भेजी गई वीडियो देखी तो उन्होंने भी इसे हार्ट टचिंग करार दिया।

अच्छा तो हम चलते हैं


सही है, पहाड़ के विकास के दावे के साथ अलग उत्तराखंड बनाए जाने के बीस वर्षों के भीतर जहां सरकार ही नहीं पहुंच पाई वहां कोरोना क्या पहुंचेगा।


RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments