ट्यूलिप होम्स के आठ बीघे का अवैध निर्माण सील
हल्द्वानी। शहर में नियमों को ताक पर रख रसूखदार लोग जिला विकास प्राधिकरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। यहां तक कि दबंगई से सरकारी भूमि को कब्जाने में लगे हैं। ट्यूलिप होम्स की ओर से वर्ग चार की जमीन में कब्जा कर विला बनाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस निर्माण पर मंगलवार को डीडीए का डंडा चला। अधिकारियों ने निर्माण कार्य सील कर दिया है। फिर से निर्माण करने पर मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी है।
डीडीए की संयुक्त सचिव व सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह के निर्देशन में टीम सबसे पहले भगवानपुर जयसिंह पहुंची। जहां 30 बीघा में दो निर्माणाधीन कॉलोनियां बन रही है। इन कॉलोनियों को लेकर किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है।
मनमाने तरीके से कॉलोनी तैयार किए जाने की शिकायत डीडीए को मिली। डीडीए की टीम को कॉलोनी निर्माण में नियमों का उल्लंघन पाया गया और कैलाश चंद्र पाठक की इस जमीन को सील कर दिया गया। इसके साथ की छह बीघा जमीन का निरीक्षण किया गया। ऋचा सिंह ने बताया कि इस जमीन के अभिलेखों को जांच के लिए राजस्व विभाग को निर्देशित किया है।
इस भूमि का स्वामित्व स्पष्ट करने को कहा गया है, जिससे कि भूमि की खरीद व बिक्री पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने बताया कि तीन पानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सामने ट्यूलिप होम्स की कॉलोनी है। जबकि यह भूमि वर्ग चार की है। इसमें निर्माण नहीं हो सकता है। इसके बावजूद मनमाने तरीके से निर्माण किया जा रहा था।
सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि उन्हें राजस्व अधिकारियों ने बताया कि भवन निर्माण करने वाले बिल्डर को कई बार निर्माण कार्य से रोका गया, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुआ। अब उन्हेांने राजस्व को विभाग को निर्देशित किया है कि आठ बीघा भूमि का चिन्हीकरण किया जाए। इसके बाद भूमि को तत्काल कब्जे में लिया जाए।
भगवानपुर की भूमि में जनप्रतिनिधि भी शामिल
भगवानपुर की कृषि भूमि में कॉलोनी बनाने के मामले में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी शामिल बताए जा रहे हैं। यह जनप्रतिनिधि ठेकेदारी करने के साथ ही प्रापर्टी डीलिंग भी करते हैं। यही कारण रहा होगा कि नियमों को ताक रखकर कॉलोनी तैयार की जा रही थी। फिलहाल डीडीए की सख्ती पर मनमानी पर अंकुश लग गया है।
डीडीए की संयुक्त सचिव ऋचा सिंह ने बताया कि मनमाने निर्माण पर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। बिना नक्शा स्वीकृत कोई भी निर्माण न किया जाए। ऐसे निर्माण की जानकारी मिलते ही कार्रवाई कर दी जाएगी। सरकारी भूमि में अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।