हल्द्वानी : चार हजार लोगों को फिलहाल राहत, अब इस दिन होगी अगली सुनवाई

हल्द्वानी| सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी में रेल प्रशासन के दावे वाली जमीन से कब्जाधारियों को हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर…

हल्द्वानी : रेलवे भूमि मामले पर हुई सुनवाई, अब इस दिन होगी अगली सुनवाई

हल्द्वानी| सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी में रेल प्रशासन के दावे वाली जमीन से कब्जाधारियों को हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई। उत्तराखंड सरकार और रेलवे ने SC से मामले का समाधान खोजने के लिए समय मांगा, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि हल्द्वानी के अतिक्रमण 8 हफ्ते तक नहीं हटाए जाएंगे। मामले में अगली सुनवाई 2 मई को होगी।

मामला जस्टिस एस के कौल, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में था। इसके पहले भी 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड हाईकोर्ट के अतिक्रमण फैसले पर रोक लगा दी थी।

हल्द्वानी के रेलवे भूमि मामले की सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण, कॉलिन गोंजाल्वेज़ जैसे दिग्गज वकील बनभूलपुरा की अवाम की ओर से पैरवी कर रहे थे। बनभलपुरा के जनप्रतिनिधियों का एक दल भी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मौजूद था।

पहले जानिए क्या था मामला

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर लोग रहते हैं। रेलवे ने समाचार पत्रों के जरिए नोटिस जारी कर अतिक्रमणकारियों को 1 हफ्ते के अंदर यानी 9 जनवरी तक कब्जा हटाने को कहा था। उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने इस अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया था। इसके बाद करीब 4 हजार से अधिक कच्चे-पक्के मकानों को तोड़ा जाना था, लेकिन कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिसंबर में कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि 5 जनवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि 7 दिन में 50 हजार लोगों को विस्थापन संभव नहीं है।

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का यह इलाका करीब 2 किलोमीटर से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करता है। इन इलाकों को गफ्फूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से जाना जाता है। यहां के आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं।

क्या है रेलवे और स्थानीय प्रशासन का दावा

रेलवे की जमीन पर इतने बड़े पैमाने पर निर्माण की अनुमति कैसे दी गई? इस पर रेल मंडल के अधिकारी विवेक गुप्ता ने कहा- रेलवे लाइनों के पास अतिक्रमण एक राष्ट्रव्यापी समस्या है। रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का यह मामला 2013 में अदालत में पहुंचा था। तब याचिका मूल रूप से इलाके के पास एक नदी में अवैध रेत खनन के बारे में आई थी।

जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा था- लोग यहां रेलवे की जमीन पर रहते हैं। उन्हें हटाया जाना है। तैयारी चल रही है। हमने अतिरिक्त सुरक्षाबलों की मांग की है। अवैध कब्जा जल्द हटाया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी। पुलिस और स्थानीय प्रशासन का कहना था कि वह हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।

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