हल्द्वानी के रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर हजारों लोगों की आंखें उस समय भर आईं जब 38 साल पहले शहीद हुए पिता लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला को उनकी बेटियों ने मुखाग्नि दी। दृश्य बड़ा ही मार्मिक था जब शहीद पिता को उनकी बेटियां कविता और बबिता ने रानीबाग चित्रशिला घाट में अपने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी तो मौके पर पहुंचे हजारों लोगों की आंखे भर आई। जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता, बस महसूस कर सकते है।
बताए चले कि, 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान 29 मई 1984 को 19 लोग हिमस्खलन में दबकर शहीद हो गए थे। आज बुधवार को शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के पार्थिव शरीर कों हल्द्वानी की नई आईटीआई रोड धान मिल, स्थित चौराह सरस्वती विहार, डहरिया में लाया गया। पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा तो पूरा माहौल गमगीन हो गया, शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी अपने पति के पार्थिव शरीर को देखकर रो पड़ी और उस समय का माहौल पूरी तरह से भावुक हो गया, वहां मौजूद तमाम लोगों की आंखों में गम के आंसू तो शहीद की शहादत पर गर्व देखने को मिला। आगे पढ़े…

सरस्वती विहार, डहरिया स्थित आवास पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला को श्रद्धांजलि अर्पित की। और शहीद के परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान बड़ी में लोग मौजूद रहे।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, मंत्री रेखा आर्य, सैनिक कल्याण गणेश जोशी, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत, डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, एसडीएम मनीष कुमार समेत क्षेत्र के लोगों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया। आगे पढ़े…

जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को स्थित चित्रशिला घाट के लिए लेकर जाया गया, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। चंद्रशेखर हर्बोला के पार्थिव शरीर को उनकी दोनों बेटियों ने नम आंखों से मुखाग्नि दी। इस दौरान उनके पार्थिव शरीर को सेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अंतिम संस्कार के दौरान प्रशासन के साथ में सेना के अफसर मौजूद रहे।
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