हल्द्वानी : कमिश्नर के पास पहुंचा शिक्षिका का वेतन न देने का मामला

हल्द्वानी समाचार | कमिश्नर दीपक रावत ने शुक्रवार को कैंप कार्यालय में जन समस्याओं का निस्तारण किया। जन मिलन कार्यक्रम में भूमि, सड़क, बिजली, पानी…

हल्द्वानी : कमिश्नर के पास पहुंचा शिक्षिका का वेतन न देने का मामला

हल्द्वानी समाचार | कमिश्नर दीपक रावत ने शुक्रवार को कैंप कार्यालय में जन समस्याओं का निस्तारण किया। जन मिलन कार्यक्रम में भूमि, सड़क, बिजली, पानी से संबंधित समस्याओं को लेकर फरियादी पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को जन समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारित करने के निर्देश दिए। कहा कि जब अधिकारी के स्तर पर आम जन अपनी शिकायत दर्ज कराते है, उनका समाधान हर हाल में होना चाहिए जिससे आम जन को बेवजह अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अनावश्यक चक्कर न काटना पड़े।

आर्डन प्रोग्रेसिव स्कूल की शिक्षिका रही रेबेका के दो माह का वेतन न देने का मामला कमिश्नर दीपक रावत के पास पहुंचा। विद्यालय द्वारा इस वर्ष के माह जून और सितम्बर के 22 दिन का वेतन शिक्षिका को नहीं दिया गया। 22 सितम्बर के बाद शिक्षिका ने स्कूल में पढ़ना छोड़ दिया था। नियमानुसार शिक्षिका का वेतन 52 हजार रुपए बनता है। कमिश्नर के कहने पर विद्यालय ने बुधवार तक शिक्षिका को उनके शिक्षण के 52 हजार रुपए देने पर सहमति की।

जमरानी बांध संघर्ष सिमली से आए प्रभावितों ने परियोजना के अंतर्गत पुनर्वास में डूब क्षेत्र के निवासरत परिवारों को बी से ए श्रेणी में करने की बात कही। उन्होंने बताया की उनका आवास डूब क्षेत्र के अंदर आता है। इन सभी के दो जगह घर होने के बावजूद भी ए श्रेणी से वंचित है और डीएम को आपत्ति की गई है।

पनियाबोर के मयंक बोरा ने कहा कि वे 2015 से 2022 तक अपनी माताजी सरस्वती देवी के ईलाज के लिए दिल्ली एम्स थे। स्वर्गीय सरस्वती देवी केंसर से पीड़ित थी और 2022 में उनकी मृत्यु भी हो गई है। उनका पैतृक घर डूब क्षेत्र में है किंतु उनको ए श्रेणी में शामिल नहीं किया गया। आयुक्त ने कहा कि आप सभी ने आपत्ति दर्ज की है, आपत्तियों का संतुष्टिपूर्ण समाधान न होने के बाद ही पुनः मेरे स्तर पर आपत्ति दर्ज करें।

भनपुलरा से आए किन्नर समुदाय ने अपनी समस्या रखी। किन्नरों की समस्या को लेकर मंडलायुक्त ने उन्हें एक सप्ताह का समय देते हुए आपसी समझौता करने को कहा। उनके बीच आपसी इलाके को लेकर झगड़ा है जिस संबंध में आयुक्त ने कहा कि अपने भरण पोषण और आजीविका पर सबका अधिकार है। एक सप्ताह के भीतर खुद से समाधान करे अन्यथा प्रशासनिक हस्तक्षेप से निपटारा किया जायेगा।

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