HomeUttarakhandBageshwarबागेश्वर विशेष: सरकार की बेरुखी / पहाड़ में हाथी का चढ़ाना और...

बागेश्वर विशेष: सरकार की बेरुखी / पहाड़ में हाथी का चढ़ाना और इंडस्ट्री लगाना एक बात, दो भाइयों की मेहनत और सपनों पर सरकारी बेरूखी फेर रही पानी

सुष्मिता थापा
बागेश्वर।
पहाड़ों में खुद का काम करना आसान नहीं है। अगर आप खुद का काम शुरू करने की भी सोच रहे हैं, तो आपको अपने बलबूते ही सबकुछ करना होगा । सरकार बस आपको आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं देने वाली। सरकार भले ही जनता को आत्मनिर्भर बनाने का कितना ही हल्ला क्यों न मचा ले। वो सिर्फ सरकारी कागजों तक ही सीमित रहेगा। ये हम नहीं खुद इसके भुगतभोगी आत्मनिर्भर लघु उद्यमी कह रहे हैं ।

कृपाल सिंह बोरा और किशन सिंह बोरा दो आत्म निर्भर भाई हैं जो अपना खुद का कपड़े के बैग की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चलाते हैं । इससे पहले दोनों ही भाई गुजरात में रहकर किसी कंपनी में काम करते थे । वहां पर निरंतर पहाड़ की याद तो आती ही थी साथ में पहाड़ में हो रहें निरंतर जलवायु परिवर्तन से वो बड़े दुखी थे ।


दोनों भाईयों ने गहनता से सोचा तो उन्हें सबसे बढ़ा कारण पॉलीथिन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल नजर आया । जो पहाड़ के पर्यावरण को पूरे तरीके से दूषित और बर्बाद कर रहा है। दोनों ही भाईयों ने तय किया की अपने पहाड़ वापस लौट आये और 65 लाख की लागत से शुरू कर दी कपड़े के हैंडबैग्स की यूनिट । शुरू में सब कुछ ठीक रहा क्योंकि उस समय उच्च न्यायालय द्वारा पूरे प्रदेश भर में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगा रखी थी । जिसे उनके कपड़े के बैग की मांग क्षेत्रीय बाजार में बढ़ गई, लेकिन समय बीतने के साथ ही पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल फिर एक और बढ़ गया जिससे उन्हें काफ़ी नुकसान उठाना पड़ रहा है।


पर्यावरण की ये बर्बादी ना सरकार को दिख रहीं है ना ही प्रशासन को । प्रशासन की पॉलीथिन बंदी सिर्फ एक दो अभियान तक ही सिमित रहती है। किशन सिंह ने बताया कि पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल हमारे बिज़नेस लिए नुकसानदेय तो है ही साथ में पर्यावरण के लिए भी बहुत ही घातक है । वहीं दूसरी ओर सरकार से भी मदद ना के बराबर ही मिलती है । ना पहाड़ो में लाइट रहती है और ना ही ट्रांसपोर्ट की उचित व्यस्था है ।ट्रांसपोर्ट तो जैसे तैसे मैनेज कर लेते हैं लेकिन लाइट के सुचारु रूप से ना रहने से काफ़ी नुकसान उठाना पड़ रहा है ।

लॉक डाउन के दौरान से अभी तक 10 लोगों को रोजगार दे रखा है । जैसे तैसे यूनिट चला कर बस खर्चा ही पूरा हो रहा है ।ऊर्जा प्रदेश में लोगों को ऊर्जा के ही लाले पड़ जाएंगे यह किसने सोचा होगा। तभी हमारा यहां पर इंडस्ट्री लगाना पहाड़ के लोगों के लिए फायदेमंद होगा ।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments