सी.एन.ई. न्यूज। इस कोरोना काल में जहां पूरा विश्व एक नये किस्म के वायरस कोविड—19 से जूझ रहा है, वहीं वैज्ञानिक एक नए खतरे की ओर भी आगह कर रहे हैं।
दरअसल, महसूस किया जा रहा है कि इस बार मई के माह में भी गर्मी अपने प्रचंड रूप में नही आ पा रही है। जब—तब बारिश, ओलावृष्टि हो रही है। आंधी—तूफान आ रहे हैं और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। लंदन के वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को एक प्रक्रिया बताया है, जिसे सोलर मिनिमम नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने सूरज की मौजूदा स्थिति को लेकर एक चौंकाने वाली जानकरी दी है और इस साल भीषण ठंड, भूकंप और सूखे की आशंका जाहिर की है। उनका कहना है कि इस दौरा में सूरज की सतह पर एक्टिविटी हैरतअंगेज तरीके से कम हो रही है। आने वाले समय में सनस्पॉट बिल्कुल गायब भी हो सकते हैं। द सन की एक रिपोर्ट आई है। जिसके एस्ट्रोनॉमर डॉ टोनी फिलीप्स के कथन का जिक्र करते हुए बताया गया है कि हम सोलर मिनिमम की ओर जा रहे हैं और इस बार ये काफी भयानक होगा। इस दौरान सूरज का मैग्नेटिक फील्ड काफी कमजोरो हो जाएगा, जिसकी वजह से सोलर सिस्टम में ज्यादा कॉस्मिक रे आयेंगे।
टोनी फिलीप्स ने कहा है कि ज्यादा मात्रा में कॉस्मिक रे एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं। ये पृथ्वी के ऊपरी वातावरण के इलेक्ट्रो केमिस्ट्री को प्रभावित करेंगे। इसकी वजह से बिजलियां कड़केंगी।
वहीं नासा के वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है कि ये डाल्टन मिनिमम जैसा हो सकता है, जो कि 1790 से 1830 के बीच में आया था। इस दौरान भीषण ठंड पड़ी थी, फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था, सूखा और भयावह ज्वालामुखी फूटे थे। अलबत्ता इस विषय में अन्य देशों के वैज्ञानिकों के किसी आधिकारिक बयान और पुष्टि का इंतजार है।
“This is a sign that solar minimum is underway,” reads SpaceWeather.com. “So far this year, the Sun has been blank 76% of the time, a rate surpassed only once before in the Space Age. Last year, 2019, the Sun was blank 77% of the time. Two consecutive years of record-setting spotlessness adds up to a very deep solar minimum, indeed.”