Breaking News: अल्मोड़ा में खुला स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र, पुण्यतिथि के मौके पर केंद्र का शुभारंभ, कुलपति प्रो. भंडारी के प्रयास लाए रंग

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानन्द की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा


सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानन्द की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र शुभारंभ किया गया। जिसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने दीप प्रज्वलन व रिबन काटकर किया।
उद्घाटन समारोह में सोबन सिंह जीना विवि के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाकर हम बेहतर जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय ने समाज के सापेक्ष कई कार्य किये हैं और अब इसी क्रम में स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना भी की गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1857 के आसपास के कालखंड में स्वामी जी जैसे विचारकों ने विचार क्रांति दी। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों से वे सदैव प्रेरित रहे हैं और यह केंद्र उनके सपनों का केंद्र है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इसको राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का कार्य किया जाएगा। उन्होंने युवाओं से अपनी संस्कृति, धरोहरों और जड़ों से ईमानदारी से जुड़े रहने का आह्वान किया।
मुख्य वक्ता रामकृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद ने कहा कि अल्प कार्यकाल में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने स्वामी विवेकानन्द को लेकर अध्ययन केंद्र की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति विवेकानंद का अगाध प्रेम था। अल्मोड़ा में आकर उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई और काकड़ीघाट में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्होंने ज्ञान लिया। उन्होंने उन्हें अल्मोड़ा से काफी प्रेम रहा है। विशिष्ट अतिथि सामाजिक चिंतक सुनील ने कहा कि विवेकानन्द युवाओं को तपाकर देश के लिए तैयार करना चाहते थे। उन्होंने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन पीठ की स्थापना को लेकर बधाई दी और कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था को लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर आने की जरुरत है।
कार्यक्रम अध्यक्ष परिसर निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना को सराहनीय बताया और कुलपति के कदम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद एक विशाल महाकाव्य हैं। युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि एक उपलब्धि के रूप में विवेकानंद अध्ययन केंद्र पहचान बनेगा। योग विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन भट्ट ने स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र के विषय में विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी के प्रयासों से यह संस्थान खुल सका है, जो गर्व का विषय है। इस मौके पर अपनी वार्ता रखते हुए डॉ. ललित जलाल ने स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी जानकारी दी। डाइट के प्राचार्य डॉ. हरीश जोशी ने विवेकानंद से जुड़े अनछुए संस्मरणों को सुनाया। प्रो. शेखर जोशी ने विवेकानन्द को भारत का गौरव बताया और प्रो. सोनू द्विवेदी ने भी उनके विषय में कई जानकारियां रखीं।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत हुआ और योग विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में मोनिका भैसोड़ा व रोहिणी पंत ने स्वामी विवेकानंद पर कविता का पाठ किया। योग विभाग की छात्राओं ने चरैवैति—चरैवैति जैसे गीत गाकर माहौल राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत किया। कार्यक्रम का संचालन योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बिपिन चंद्र जोशी, विशेष कार्याधिकारी डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, प्रो. शेखर चंद्र जोशी, डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, प्रो. सोनू द्विवेदी, डॉ. देवेंद्र धामी, डॉ. मनोज बिष्ट, डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया, डॉ. प्रेम प्रकाश पांडेय, खेल प्रभारी लियाकत अली, डॉ. ललित चंद्र जोशी आदि कई शिक्षक, कर्मचारी व छात्र—छात्राएं शामिल हुए।

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