प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा में अभिव्यक्ति को देना होगा सम्मान: डा. कार्की

— बागेश्वर में दो दिनी ‘शिक्षा में मातृभाषा: अवसर एवं चुनौतियां’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी— विषय विशेषज्ञों ने दिया मातृभाषा के संरक्षण पर जोर, शोधपत्र प्रस्तुत…

— बागेश्वर में दो दिनी ‘शिक्षा में मातृभाषा: अवसर एवं चुनौतियां’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी
— विषय विशेषज्ञों ने दिया मातृभाषा के संरक्षण पर जोर, शोधपत्र प्रस्तुत

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनिल कार्की ने कहा कि प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में अभिव्यक्ति का सम्मान देना होगा। पाठ्यचर्या में मातृभाषा स्थानीय बोली आधारित बहुभाषिक पाठ्यचर्या अपनाई जा सकती है। बच्चों की पकड़ विषय पर भी बेहतर हो सकती है।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता डा. कार्की ने कहा कि अपनी भाषा का आदर होना चाहिए। छोटे बच्चों से घर, परिवेश और विद्यालय पर भी बात आदि में स्थानीय भाषा को महत्व देना होगा। शिक्षा में मातृभाषा अवसर एवं चुनौतियां (एनईपी 2020 के आलोक में) में यह जरूरी है। रवि कुमार जोशी ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में समापन दिवस पर 22 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डा. सुरेंद्र धपोला ने अध्यक्षता की। कहा कि दैनिक जीवन में मातृभाषा का प्रयोग ही मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन का बेहतर तरीका है। डायट के प्राचार्य डा. शैलेंद्र धपोला ने कहा कि इस प्रकार के राष्ट्रीय सेमिनार विद्वानों और विषय विशेषज्ञों को चिंतन, मनन का अवसर प्रदान कर समस्या के सामूहिक समाधान की ओर बढते हैं। उन्होंने अपने महत्वपूर्ण शोधपत्रों के माध्यम से भविष्य के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया।
इन्होंने प्रस्तुत किए शोधपत्र

देहरादून सीमैट से डा. विनोद ध्यानी, डायट पिथौरागढ डा. गोविंद धपोला, डायट भीमताल डा. सुमित पांडे, आरती जैन, डायट अल्मोड़ा डा. भुवन चंद्र पांडे, नैनीताल डा. हेमंत जोशी, डीआरपी गणेश जोशी, डा. गोपाल कृष्ण जोशी, कविता तिवारी, नीरज पंथ, अंजू परिहार, तनुजा पाठक, मनोरमा मलेठा, रश्मि गोस्वामी आदि ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थिति

संगोष्ठी में जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, दिल्ली के अलावा विभिन्न प्रांतों के शोधार्थियों, कार्यक्रम का समन्वयन डा. केएस. रावत, डा. राजीव जोशी, डा. सीए जोशी, डा. मनोज कुमार, डा. मनोज पांडे, डा. हयात सिंह रावत, गोपाल दत्त पंत, संजय पूना, बलवंत कालाकोटी, हेम जोशी, प्रेम उपाध्याय, डा. प्रेम सिंह मावड़ी, डा. बीडी. पांडे, दीप पांडे, संदीप कुमार जोशी, समेत 100 से अधिक लोग उपस्थित थे।

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