— इस बार जुलूस में 16 पुतले हुए शामिल
— भीड़ से बाजार में निकलना हुआ मुश्किल
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
सांस्कृतिक गतिविधियों को मशहूर अल्मोड़ा नगरी शुक्रवार को दशहरा महोत्सव की धूम से लबरेज रहा। महोत्सव में अनूठी सांस्कृतिक छटा बिखरी। लंकेश समेत रावण परिवार के 16 पुतलों का ढोल—नगाड़ों के साथ भव्य जुलूस निकला। हजारों दर्शक इस जुलूस के गवाह बने।
नगर की पुतला समितियां अपने-अपने पुतलों के साथ अपराह्न यहां माल रोड स्थित शिखर तिराहे पर एकत्रित हुए। जहां दशहरा महोत्सव के तहत पुतलों के जुलूस का उद्घाटन हुआ। यह उद्घाटन मुख्य अतिथि लोक कलाकार दीवान सिंह कनवाल ने किया। अपराह्न करीब 04 बजे 16 पुतलों का जुलूस बाजे—गाजे के साथ निकला। एक के बाद एक पुतले कतारबद्ध तरीके से आगे बढ़े। शनै:-शनै: करीब डेढ़ किमी लंबी मुख्य बाजार में आगे बढ़ते चले गया। पुतला निर्माण समितियों की युवा टोलियां ढोल-मजीरे व बैंड-बाजे की धुनों पर थिरकते निकले। बच्चे, बूढ़े व महिलाओं समेत हजारों की तादाद लोग में जुलूस देखने बाजार में उमड़े। बाजार मार्ग के दोनों तरफ ही नहीं बल्कि दुकानों, घरों व भवनों के छतों व बालकनी में जमावड़ा लगा रहा। पूरी बाजार से पुतलों के जुलूस को गुजरने में करीब दो घंटे से अधिक वक्त लगा। शाम पल्टन बाजार होते हुए जुलूस हेमवती नंदन बहुगुणा स्टेडियम पहुंचा। जहां देर रात तक परम्परागत ढंग से रावण परिवार के पुतलों का दहन होगा।
यहां के कलात्मक पुतले मशहूर
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव की परंपरा दशकों पुरानी व अनूठी है। बताया जाता है कि पूरे देश में मैसूर व कुल्लू मनाली के बाद के बाद अल्मोड़ा दशहरा महोत्सव का तीसरा स्थान है। यहां निर्मित कलात्मक पुतले पूरे देश में मशहूर हैं। स्थानीय हुनरमंद कई दिनों की मेहनत से इन्हें खुद तैयार करते हैं।
पर्यटकों ने भी उठाया लुत्फ
अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव की विशिष्टता ऐसी है कि हर साल देशी-विदेशी पर्यटक भी इसे देखने यहां पहुंचते हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार पर्यटकों की आवाजाही काफी कम दिखी। मगर चंद पर्यटक दशहरा महोत्सव का लुत्फ उठाते दिखे। और उन्होंने इस अनूठे नजारे को अपने कैमरों में कैद किया।
राम की झांकी भी आकर्षण
सांस्कृतिक नगरी में दशहरा महोत्सव में भगवान राम व लक्ष्मण की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही। महोत्सव को देखने पहुंचे श्रद्धालु भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए झांकी के पास पहुंचे। बाजार में जिस क्षेत्र से भी झांकी गुजरी, वहां महिलाएं अपने घरों की छतों से झांकी पर पुष्प वर्षा कर रही थी। रावण वंश का नाश कर विजय के प्रतीक स्वरूप जुलूस के पीछे भगवान राम, लक्ष्मण व सीता की मनोहारी झांकी शामिल थी। झांकी में भगवान राम व लक्ष्मण के साथ हनुमान, बानर नरेश सुग्रीव आदि के प्रतीक स्वरूप पात्र सवार थे।
जुलूस में शामिल पुतले
ताड़िका—हुक्का क्लब, खर—चौघानपाटा, दूषण—गंगोला मोहल्ला, ज्वालासुर—नृसिंहबाड़ी, कीरत—अफसर कॉलोनी, धुम्राक्ष—खोल्टा, मायासुर—धार की तूनी, मारीच—टम्टा मोहल्ला, कुंड—राजपुरा, अतिकाय—राजपुरा, कालकासुर—चौक बाजार, अक्षय कुमार—लोहे का शेर, देवांतक—राजपुरा, कालकेतू—सांईं मंदिर, रावण—लाला बाजार तथा मकरासुर—भ्यारखोला।
उद्घाटन में प्रमुख लोग
इस मौके पर विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा व मनोज तिवारी, पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष ललित लटवाल, आनंद सिंह बगडवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष शोभा जोशी, जेसी दुर्गापाल, एसडीएम गोपाल चौहान आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। इनके अलावा मनोज सनवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रवि रौतेला, कैलाश गुरार्रानी, विनीत बिष्ट, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री गोविंद पिलखवाल, अख्तर उस्सैन, नूर अहमद समेत विभिन्न पुतला समितियों के लोग शामिल रहे। संचालन वैभव पांडे ने किय।