सीएनई रिपोर्टर, गरुड़ (बागेश्वर)
दो दशकों से चली आ रही गरुड नगर पंचायत ने आखिरकार मूर्त रूप ले ही लिया। जिलाधिकारी बागेश्वर को नगर पंचायत गरुड़ का प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है जबकि उपजिलाधिकारी गरुड़ को अधिशासी अधिकारी (ईओ) का अतिरिक्त प्रभार सौपा गया है।
गरुड़ को नगर पंचायत बनाने की मांग दो दशक पुरानी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों में व्यापारियों ने गरुड़ को नगर पंचायत बनाने के लिए राज्य गठन से अब तक के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन सौपकर नगर पंचायत बनाये जाने की मांग की। जिस पर राज्य के चार मुख्यमंत्रियों ने गरुड़ को नगर पंचायत बनाने की घोषणा भी की, लेकिन घोषणायें कोरी ही साबित हुई। वर्ष 2017 में एडवोकेट डीके जोशी के नेतृत्व में गरुड़-बैजनाथ नगर पंचायत बनाओ संघर्ष समिति का गठन भी किया गया।
15 जनवरी 2018 से संघर्ष समिति ने ऐतिहासिक गांधी चबूतरे पर नगर पंचायत बनाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना शुरु कर दिया। 15 जनवरी वर्ष 2019 से भी अनिश्चितकालीन धरना किया गया। 27 जनवरी 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गरुड़ भ्रमण के दौरान हंस फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में गरुड़ को नगर पंचायत बनाने की घोषणा की। जो सितंबर माह में अब अस्तित्व में आ गयी है।
नगर पंचायत के अस्तित्व में आने से संघर्ष समिति के संरक्षक एडवोकेट डीके जोशी खुशी जाहिर की है। इधर भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, भाजपा मंडल अध्यक्ष हरीश रावत, घनश्याम जोशी, जंगदीश आर्य, जनार्जन लोहनी, मंगल राणा, अभय नेगी, ब्लॉक प्रमुख हेमा बिंष्ट, बहादुर कोरंगा, दीपा जोशी, डीके जोशी, हेम रावत, धनराज दानू आदि ने प्रसन्नता जताते हुए नगर पंचायत बनाने के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री बंशीघर भगत, विधायक चन्दन राम दास, बलवंत सिंह भौर्याल आदि का आभार व्यक्त किया है।