कोटद्वार। उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकित भंडारी हत्याकांड मामले में 2 साल 8 महीने के इंतजार के बाद फैसला आ गया है। कोटद्वार कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। कोटद्वार जिला कोर्ट ने तीनों आरोपियों पुलकित आर्य और उसके दोनों कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या के मामले में दोषी करार दिया है।
कोर्ट का फैसला आने से पहले अंकित भंडारी के पिता वीरेंद्र सिंह ने बेटी के हत्यारे को फांसी की सजा देने की मांग उठाई। कहा- जिन दरिंदों ने उनकी निर्दोष बेटी को मारा, उन्हें मौत की सजा मिलनी चाहिए। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आज फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने तीनों आरोपियों पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या के मामले में दोषी करार दिया है। इन पर 302, 201, 354, धाराओं में दोष सिद्ध हुआ है। वहीं, कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 50-50 हजार रुपये का अर्थ दंड और अंकिता के परिजनों को चार लाख रुपये देने का फैसला भी कोर्ट ने सुनाया।
यह था पूरा मामला
19 साल की ऋषिकेश के वनंतरा रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थी। 18 सितंबर, 2022 को अंकिता अचानक गयाब हो गई। इसके बाद उसके पिता ने रिसॉर्ट पहुंचकर कर्मचारियों से पूछताछ की थी। बेटी का पता नहीं चलने पर उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। शक के आधार पर जब पुलिस ने पुलकित से पूछताछ की, तो उसने पुलिस को बताया कि रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी रिसॉर्ट के एक कमरे में रहती थी। कुछ दिन से वह मानसिक तनाव से गुजर रही थी।
इसलिए वह और उसके दोस्त 18 सितंबर को अंकिता को ऋषिकेश घुमाने ले गए थे। देर रात सभी वहां से वापस लौट आए। लौटकर सभी रिसॉर्ट में बने अलग-अलग कमरों में सोने चले गए। 19 सितंबर की सुबह अंकिता अपने कमरे से गायब थी। पुलिस की पड़ताल में यह कहानी झूठी निकली।
CCTV फुटेज में अंकिता तीनों के साथ जाती नजर आई
पुलकित के बाद पुलिस ने रिसॉर्ट के कर्मचारियों से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि ऋषिकेश जाते समय अंकिता इन लोगों के साथ थी, लेकिन वह इनके साथ लौटकर नहीं आई। इसके बाद पुलिस ने ऋषिकेश के रास्ते पर लगे हुए तमाम CCTV कैमरों के फुटेज चेक किए। इनसे यह बात साबित हुई कि रिसॉर्ट से जाते समय कुल चार लोग थे, लेकिन वापस तीन ही लौटे।
पुलकित के रिसॉर्ट के पास नहर में मिला अंकिता का शव
पुलकित की कहानी झूठ निकलते ही पुलिस का शक गहरा गया और उससे सख्ती से पूछताछ शुरू हुई। सोशल मीडिया पर भी उसकी तलाश के लिए कैंपेन चल रहा था। पुलिस ने शक के आधार पर पुलकित से पूछताछ की। आरोपी ने अंकिता को गंगा में धकेल देने की बात कबूल की। इसके बाद रेस्क्यू एजेंसियों ने अंकिता का शव चिल्ला पावर हाउस के पास चीला नहर से बरामद किया।
पुलिस जांच में पता चला था कि रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता भंडारी पर गलत काम करने का दबाव डाला था। जिसका अंकिता भंडारी ने विरोध किया। इसी बात से नाराज पुलकित आर्य और उनके दो साथियों ने मिलकर अंकिता को चीला नहर में धक्का देकर मार डाला था। इसके बाद पुलिस ने पुलकित आर्य, उसके रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित उर्फ पुलकित गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
भीड़ ने पुलकित आर्य के रिसॉर्ट को फूंक दिया था
अंकिता की हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने पुलकित आर्य के रिसॉर्ट में आग लगा दी थी। स्थानीय भाजपा विधायक रेणु बिष्ट की गाड़ी के कांच तोड़ दिए गए थे। हंगामा बढ़ता देख उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता मर्डर केस की जांच के लिए SIT गठित की थी। इसके अलावा पुलकित के रिसॉर्ट को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया था।
भाजपा ने पिता और भाई को निकाल दिया था
घटना के बाद भाजपा ने पुलकित के पिता विनोद आर्य को पार्टी से निकाल दिया था। वे भाजपा नेता और उत्तराखंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं। आर्य भाजपा OBC मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी भी थे। पुलकित के भाई अंकित आर्य को भी उत्तराखंड OBC कल्याण आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था।
सरकार की तरफ से क्या हुई कार्रवाई —
- अंकिता की हत्या के बाद आरोपियों को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा गया और अभी तक वह सलाखों के पीछे हैं
- अंकिता भंडारी हत्या मामले में जांच के लिए किया गया SIT का गठन
- अंकिता हत्याकांड के आरोपियों पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी हुआ केस दर्ज
- धामी सरकार द्वारा अंकिता भंडारी के परिवार को दी गई ₹25 लाख की आर्थिक मदद
- अंकिता हत्याकांड मामले में 500 पन्नों की चार्जशीट हुई तैयार 97 गवाहों के बयान भी किए गए शामिल
- अंकिता के परिजनों की मांग पर 3 बार बदले गए सरकारी वकील
- दिवंगत बेटी अंकिता के भाई और उसके पिता को दी गई सरकारी नौकरी
- कोर्ट में सरकारी वकील द्वारा की गई सख्त पैरवी की वजह से आरोपियों द्वारा दी गई जमानत अर्जी हर बार हुई खारिज