‘अल्मोड़ा की समाजसेविका मनोरमा जोशी को दधीची सम्मान’

👉 प्लस एप्रोच फाउंडेशन दिल्ली ने सम्मान से नवाजा 👉 दिव्यांग बच्चों के जीवन में रोशनी लाने का उठाया बीड़ा सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: दो दशक…

'अल्मोड़ा की समाजसेविका मनोरमा जोशी को दधीची सम्मान'

👉 प्लस एप्रोच फाउंडेशन दिल्ली ने सम्मान से नवाजा
👉 दिव्यांग बच्चों के जीवन में रोशनी लाने का उठाया बीड़ा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: दो दशक पहले से मानसिक व ​शारीरिक दिव्यांग बच्चों के जीवन में रोशनी लाने का कठिन बीड़ा उठाते आ रही अल्मोड़ा की समाजसेविका एवं पूर्व प्रवक्ता मनोरमा जोशी को दधीचि सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें प्लस अप्रोच फाउंडेशन दिल्ली ने प्रदान किया है। जिससे अल्मोड़ा जनपद का गौरव बढ़ा है।


दो दशक पहले से अल्मोड़ा के खत्याड़ी में दिव्यांग बच्चों का जीवन सुधारने व उन्हें समाज की मुख्य की धारा में लाने का चुनौतीपूर्ण कार्य करते आ रही मनोरमा जोशी वृद्धावस्था में भी समाज के मूक, बधिर व शारीरिक रुप से दिव्यांग बच्चों को काबिल बनाने के काम में रत हैं। ऐसे बच्चों के लिए वह दो दशक पहले से स्वयं के संचालन में मंगलदीप विद्या मंदिर नामक संस्था चला रही हैं और ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने का काम कर रही हैं। उन्हें इसी उल्लेखनीय व चुनौतीपूर्ण कार्य को देखते हुए ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन दिल्ली’ ने इस दफा उन्हें दिल्ली में ‘दधीची सम्मान’ से सम्मानित किया। जो पूरे अल्मोड़ा के लिए गौरव की बात है। उन्हें यह सम्मान देश के नामी हास्य कवि अशोक चक्रधर, ख्याति प्राप्त पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, पद्मश्री अनिल जोशी, प्लस अप्रोच फाउंडेशन के अध्यक्ष आरसी गुप्ता व मेंटोर आशुतोष कर्नाटक ने संयुक्त रुप से प्रदान किया। इस उनके साथ अल्मोड़ा से समाजसेवी मनोज सनवाल, भारती पांडे, विद्या कर्नाटक, रणविजय, नमिता तिवारी, सतीश, गजेंद्र पाठक आदि भी शामिल रहे।
उल्लेखनीय है मनोरमा की मेहनत


दरअसल, मानसिक या शारीरिक दिव्यांग बच्चे परिवार पर बोझ समझे जाते हैं या समाज में वह तिरस्कृत से रहते हैं, लेकिन मनोरमा जोशी ने उन्हें गले लगाकर उनका जीवन सुधारने का बड़ा चुनौतीपूर्ण काम शुरू कर उनकी सेवा में लग गई और वृद्धावस्था में भी इसी सेवाभाव में जुटी हैं। अल्मोड़ा के मल्ली बाजार निवासी मनोरमा जोशी प्रवक्ता पद से लगभग दो दशक पहले सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। बेहद सरल स्वभाव एवं मृदुभाषी मनोरमा जोशी को कुदरती मार झेलते बच्चों के दुख—दर्द ने ऐसा व्यथित किया कि उन्होंने इनके जीवन में रोशनी लाने का बीड़ा उठा डाला। वर्ष 1998 में उन्होंने नगर से सटी ग्रामसभा खत्याड़ी मंगलदीप विद्या मंदिर नामक संस्था का श्रीगणेश कर डाला। शुरू में इसके संचालन में उन्हें कई अड़चनें भी आई, मगर जज्बे के सामने शनै:—शनै: ये अड़चनें परास्त होती चले गई। इस नेक कार्य में उन्हें उनके पारिवारिक सदस्यों का पूरा सहयोग भी रहा। उनकी मेहनत रंग लाई और कई बच्चे काफी हद तक काबिल हो चुके हैं। संस्था में शिक्षकों समेत करीब दर्जनभर लोगों के स्टाफ की व्यवस्था है। जो मनोरमा जोशी के निर्देशन में प्राइमरी, सेकेंडरी, प्री-वोकेशनल व वोकेशनल कक्षाओं का संचालन करते हैं। इतना ही व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। ऐसे ठोस प्रयासों से मंगलदीप विद्या मंदिर ने कई उपलब्धियां अर्जित कर ली हैं।

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