AlmoraUttarakhand

अल्मोड़ाः तकनीकी संस्थानों के संविदा शिक्षकों पर गिरी गाज, बिट्टू कर्नाटक ने प्रमुखता से उठाया मुद्दा, राजनैतिक द्वेष का आरोप, सीएम को भेजा ज्ञापन


अल्मोड़ा। जहां एक ओर कोरोना संक्रमण व लाॅकडाउन के चलते रोजगार का संकट बढ़ गया हैं। ऐसे में समस्याओं को कम करने के बजाय मुश्किलों को जन्म देने वाले वाकये भी सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के तकनीकी संस्थानों (पालीटेक्निकों) का आया है। जिन्हें स्थाई नियुक्तियों के अभाव में काफी हद तक संविदा शिक्षक आबाद किए हुए हैं। मगर हद ये है कि इन संविदा शिक्षकों को बिना पूर्व सूचना के ही हटा दिया गया है। इस कदम से संविदा शिक्षक तो मुसीबत में पड़ ही गए हैं, वहीं इन पालीटेक्निकों पर संकट आन पड़ा है। इसी बात को लेकर पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक बेहद गंभीर व चिंतित हैं। श्री कर्नाटक ने जन सरोकार से जुड़े इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने मामला संज्ञान में आते ही तत्काल मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। उन्होंने कहा है कि यह मामला राजनैतिक द्वेष भावना का प्रतीत होता है, जिसका खामियाजा संविदा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है।
पूर्व मंत्री श्री कर्नाटक ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर कहा है कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश के तकनीकी संस्थानों ( पालिटेक्निक ) में कार्यरत संविदा शिक्षकों को बिना कोई कारण बताए या पूर्व सूचना या नोटिस दिये ही पद से हटा दिया गया है, जबकि ये शिक्षक पद की पूर्ण योग्यता रखते हैं। यहां तक सरकारी सेवा के लिए पूरी अर्हता रखते हैं और करीब 09-10 वर्षों से कार्य करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के तकनीकी संस्थानों ( पालिटेक्निक ) में रिक्त पद के सापेक्ष संविदा शिक्षक कम मानदेय पर अपनी सेवायें दे रहे थे। जिससे इन संस्थानों का संचालन सुचारू चल रहा था और प्रदेश सरकार के वेतन मद में एक बड़ी रकम की बचत हो रही थी। सेवायें समाप्त होने से संविदा शिक्षक बेरोजगारी के चंगुल में आ गए हैं और उनके परिवारों के समक्ष भरण पोषण की समस्या ने जन्म ले लिया है। ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में कई तकनीकी संस्थानों ( पालिटैक्निकों ) में विषयाध्यापकों की भारी कम है। मगर अब शिक्षकों के अभाव में या तो ये संस्थान बन्द हो रहे हैं या बन्द होने के कगार पर पहुंच गए हैं।
श्री कर्नाटक ने कहा है कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार ने ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास हेतु कई तकनीकी संस्थान खोले। मगर इस पर्वतीय राज्य का दुर्भाग्य रहा है कि नई सरकारें पूर्ववर्ती सरकारों के जन कल्याणकारी निर्णयों को पलटने या उन्हें समाप्त करने जैसा प्रयास करती हैं। जो महज राजनीतिक द्वेष हैं और ऐसे द्वेष का खामियाजा युवाओं या जनता को भुगतना पड़ता है। उन्होंने ऐसे फैसलों को जन विरोधी व राज्य विरोधी बताया है। उनहोंने मुख्यमंत्री से तकनीकी संस्थानों ( पालिटेक्निकों ) से हटाये संविदा शिक्षकों को तत्काल दुबारा नियुक्ति करने और बदी के कगार पर पहुंचे तकनीकी संस्थानों को पुनर्जीवित करने की पुरजोर मांग की है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं के भविष्य का ध्यान रखते हुए ऐसे जन विरोधी फैसलों को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार अपने अभिभाषण में युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रहे हैं। मगर हद ये है कि भाजपा की प्रदेश सरकार युवाओं के कौशल विकास के मार्ग को अवरुद्ध करने का कार्य कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Back to top button
किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये पौधे, सेहत के लिए भी फायदेमंद Uttarakhand : 6 PCS अधिकारियों के तबादले शाहरूख खान की फिल्म डंकी 100 करोड़ के क्लब में शामिल हिमाचल में वर्षा, बर्फबारी होने से बढ़ी सर्दी Uttarakhand Job : UKSSSC ने निकाली 229 पदों पर भर्ती