सराहनीय : सिरसा व नैनीपुल पहुंची बंदर पकड़ने वाली टीम, आज 22 पकड़े

अल्मोड़ा में भी अभियान का इंतजार कर रही जनता CNE NEWS. अल्मोड़ा के सीमावर्ती नैनीताल जनपद अंतर्गत सिरसा व नैनीपुल क्षेत्र में वन विभाग की…

पिंजरे में कैद बंदर
अल्मोड़ा में भी अभियान का इंतजार कर रही जनता
  • – अनूप सिंह जीना की रिपोर्ट-

CNE NEWS. अल्मोड़ा के सीमावर्ती नैनीताल जनपद अंतर्गत सिरसा व नैनीपुल क्षेत्र में वन विभाग की ओर से बंदर पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया गया है। बृहस्पतिवार को यहां करीब दो दर्जन बंदर पिंजरे में कैद कर लिए गए। बंदर पकड़ने का अभियान शुरू होने से स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं, अल्मोड़ा नगर क्षेत्र के वाशिंदे भी इस तरह की मुहिम का इंतजार कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल व अल्मोड़ा जनपद में बंदरों का जबरदस्त आतंक है। बंदरों की समस्या के चलते लोगों ने खेती व बागवानी तक छोड़ दी है। रोजना बंदरों द्वारा काफी उत्पात मचाया जाता है। जनता की समस्या को देखते हुए नैनीताल वन प्रभाग ने बंदर पकड़ने की सराहनीय मुहिम शुरू कर दी है।

बंदर पकड़ने के अभियान के दौरान मौजूद टीम

वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद कुमार आर्य के नेतृत्व में चला अभियान

वनाधिकारी वन प्रभाग नैनीताल के आदेश पर वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद कुमार आर्य के नेतृत्व व निर्देशन में बंदरों को पकड़ने वाली टीम सिरसा व नैनीपुल पहुंची। रानीबाग रेस्क्यू सेंटर के मोहम्मद उस्मान, मोहम्मद सरीख भी टीम में शामिल थे। जिन्होंने कुल 22 बंदर सफलतापूर्वक पिंजरे में कैद कर लिए। इस मौके पर वन विभाग के दरोगा संजय टम्टा भी मौजूद रहे।

आम जनता को काफी राहत

इधर क्षेत्रवासियों का कहना है कि बंदर पकड़े जाने अभियान से काफी राहत मिली है। यहां तमाम इलाकों में लंबे समय से कटखने बंदरों ने आतंक मचा रखा था। रोजाना बंदरों द्वारा खाने-पीने के सामान की छीना-झपटी आम बात हो चुकी है। साथ बहुत से लोगों को इनके द्वारा काटे जाने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। वहीं, वन क्षेत्राधिकारी का कहना है कि आगे भी यह अभियान जारी रहेगा।

अल्मोड़ा में कब होगा समस्या का अंत

अलबत्ता सीमावर्ती इलाकों में बंदर पकड़ने की मुहिम शुरू होने के बाद अल्मोड़ा नगर व आस-पास के इलाकों में भी बंदरों को पकड़े जाने का अभियान शुरू होने का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि वस्तुस्थिति यह है कि अल्मोड़ा में पालिका, प्रशासन व वन विभाग इस मुहिम को शुरू करने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहा है। जिससे आम जनता को यहां बंदरों के आतंक से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।

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