प्रधानमंत्री मोदी से मिले मुख्यमंत्री धामी, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

नई दिल्ली| उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मंगलवार को संसद भवन में शिष्टाचार भेंट की और राज्य में जारी…

नई दिल्ली| उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मंगलवार को संसद भवन में शिष्टाचार भेंट की और राज्य में जारी विकास योजनाओं की उन्हें जानकारी दी।

धामी वर्ष 2025 तक प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार की योजनाओं के रोडमैप को साझा करते हुए मोदी को बताया कि उनकी सरकार लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है और इस क्रम में एक पोर्टल के माध्यम से 475 से अधिक सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है। उनका कहना था कि ‘सशक्त उत्तराखण्ड @25 थीम’ पर नवम्बर में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में चिंतन शिविर आयोजन किया गया जिसमें राज्य सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और राज्य के अल्पकालिक, मध्यकालिक तथा दीर्घकालिक विकास पर विचार किया।

मुख्यमंत्री ने केदारनाथ में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों तथा बद्रीनाथ मास्टर प्लान की प्रगति के संबंध में भी प्रधानमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि अगले पांच वर्ष में राज्य की आर्थिक स्थिति दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोजगार सृजन एवं उद्यमिता प्रोत्साहन के आर्थिक विकास को बढ़ाने वाले क्षेत्र चिन्हित किए गये है।

धामी ने राज्य सरकार की आगामी योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री को अवगत कराया और बताया कि राज्य के चमोली जिले के माणा गांव को प्रदेश का प्रथम गांव मानते हुए वहां राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने मोदी को यह भी बताया कि राज्य में ग्रीन फील्ड सिटी विकसित करने के लिए पर्वतीय एवं मैदानी जनपदों में 15 स्थलों को चिन्हित किया गया है। कुपोषण को समाप्त करने तथा पारम्परिक तौर पर उत्पादित मोटे अनाज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य मोटा अनाज मिशन भी लाया जा रहा है।

इस क्रम में मिशन प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन की जानकारी देते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य के 11 जिलों में यह योजना आरंभ की जा रही है और इस मिशन को क्लस्टर खेती के आधार पर चलाया जाएगा। इसके तहत हर जिले में 500-500 हेक्टेयर के दो क्ल्सटर का गठन किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतमाला योजना के अन्तर्गत 35 रोपवे चिन्हित किये गये है जिन पर निर्धारित अवधि में कार्य आरम्भ तथा उसे पूर्ण करने हेतु रणनीति तैयार की जा रही है। स्थानीय नागरिकों को पर्यटन गतिविधि से जोड़ने के लिए ‘होम स्टे’ विकास किया जा रहा है जिसके लिए एकल खिड़की के अन्तर्गत ऑनलाइन एग्रीगेटर की व्यवस्था की जा रही है। इससे देश-विदेश के पर्यटकों को उत्तराखंड पर्यटन के लिए आसानी से आने-जाने में सुविधा हो सके। इसके साथ ही राज्य में चारधाम जैसे धार्मिक पर्यटन की तरह ‘मानसखण्ड माला’ तैयार करने का कार्य शुरु किया गया है जिसके तहत सभी पौराणिक धार्मिक क्षेत्र पर्यटन सर्कत से जुड़ेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि ऑलवेदर रोड का कार्य राज्य में द्रुतगति से चल रहा है, परन्तु सामरिक दृष्टिकोण से इसे सीमान्त क्षेत्र तक बढ़ाने की आवश्यकता है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की तरह टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का निर्माण सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि सामरिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य तथा सीमित संसाधनों के कारण तथा राज्य को रेल परियोजनाओं की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी वहन करने की शर्त पर छूट आवश्यक है। जिन रेल परियोजनाओं का रेट ऑफ रिटर्न नेगेटिव है उनकी भी स्वीकृति इस राज्य हेतु आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामरिक दृष्टिकोण तथा पर्यटन एवं पर्वतीय क्षेत्र की आर्थिकी को बढ़ावा देने नैनी सैनी, गौचर तथा चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टियों का विस्तारीकरण एयरपोर्ट के रूप में आवश्यक है। सामरिक दृष्टिकोण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु जौलीग्रान्ट तथा पंतनगर एयरपोर्ट का भी विस्तारीकरण आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के निकट स्थित चैखुटिया क्षेत्र में नए एयरपोर्ट/ हवाई पट्टी की स्थापना करना आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से आवश्यक होगा।

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