सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर
जल जीवन मिशन कार्यक्रम सवालों के घेरे पर है। अब जल संस्थान के लैब तकनीशियन ने जिलाधिकारी से शिकायत की है। उनका आरोप है कि बिना पानी के जांच के सैंपल मांगे जा रहे हैं। जिस पर डीएम ने सख्ती करते हुए जांच सीडीओ को सौंप दी है। उसके बाद पेयजल महकमों में हड़कंप मच गया है।
जल संस्थान के लैब तकनीशियन उमेश उपाध्याय ने मुख्य विकास अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि विगत 18 अगस्त को विभागाध्यक्ष अधिशासी अभियंता एमके टम्टा ने मौखिक रूप से कहा कि जल जीवन मिशन के तहत जलस्रोतों की टैस्टिंग रिपोर्ट चाहिए। 480 राजस्व ग्रामों की सूची दी। जिसमें 275 राजस्व ग्राम जलसंस्थान और 685 जल निगम को आवंटित हैं। उन्होंने कहा कि वह जल नमूनों की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। यदि जल नमूने लैब को उपलब्ध कराए जाए तो टैस्टिंग रिपोर्ट मिल सकती है। जिस पर रिपोर्ट एक ही दिन में देने को दवाब बनाया गया। यह भी कहा गया कि चाहे आंकड़ों से छेड़छाड़ करनी पड़े, रिपोर्ट तैयार करें। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है। बिना जांच के वह रिपोर्ट नहीं दे सकते हैं। नमूने की जांच जल मिशन भारत सरकार की वेबसाइट पर एंट्री भी करनी है। यह केंद्र की महत्पूर्ण परियोजना है और जिसमें लापरवाही नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि अब उन पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं। जिससे उनकी मानहानि के साथ ही उन्हें मानसिक आघात भी पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा कि एक दिन में केवल 15 पानी के नमूनों की जांच हो सकती है। उन्होंने प्रकरण की जांच कर न्याय की गुहार लगाई है। इधर जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एम के टम्टा ने कहा कि उन्होंने जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहत पानी के नमूनों की जांच करने के आदेश दिए गए हैं। यह जरूरी भी है और लैब तकनीशियन के सभी आरोप निराधार हैं। उधर मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रकरण की जांच की जा रही है। लैब तकनीशियन से भी स्पष्टीकरण लिया जा रहा है। केंद्र की महत्वपूर्ण योजना को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों को तालमेल के साथ काम करना है। बैठकों में भी उन्हें दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।