सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी
हल्द्वानी जेल में एक बंदी की मौत के बाद कोर्ट की फटकार के बाद तबादले, सीबीआई जांच आदि झेल रही जनपद पुलिस व जेल प्रशासन की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। यहां एक अन्य बंदी की मौत के बाद परिजनों ने मुकदमा दर्ज कराया है। मृतक के पिता का आरोप है कि उसके बेटे की जेल में बंद अन्य कैदी व बंदीरक्षकों ने मिलकर हत्या की है।
पहले आपको पूर्व में हुई घटना से अवगत कराना चाहेंगे। ज्ञात रहे कि हल्द्वानी जेल में काशीपुर निवासी एक विचाराधीन कैदी प्रवेश कुमार की गत 6 मार्च को मौत हो गई थी। प्रवेश की तबियत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसके दम तोड़ दिया था। इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच का भी आदेश हुआ, लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। मृतक के परिजनों द्वारा इस मामले में पुलिस में रपट दर्ज कराने की कोशिश भी की गयी, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने टालमटोल की। इसके बाद प्रवेश की पत्नी भारती ने नैनीताल विधिक प्राधिकरण को इस मामले की लिखित शिकायत भेजी। प्राधिकरण को एसएसपी द्वारा मामले की मजिस्ट्रियल जांच की सूचना दी गयी और कहा गया इस वजह से अभियोग पंजीकृत नहीं किया गया है।
जिसके बाद मृतक की पत्नी ने न्यायालय का रुख किया और कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने की। पीठ ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि मामले की जांच सीबीआई करे। पुलिस मामले से संबंधित एफआईआर समेत सभी अन्य दस्तावेज सीबीआई के सुपुर्द करे। इसी के साथ पीठ ने नैनीताल के एसएसपी, क्षेत्राधिकारी और बंदीरक्षकों को भी तत्काल प्रभाव से जिले से अन्यत्र भेजे जाने का आदेश दिया।
इस घटना से पुलिस और जेल प्रशासन की जो किरकिरी हुई उसके बाद इस बार पुलिस ने मृतक के परिजनों की शिकायत पर तत्काल मुकदमा भी दर्ज कर लिया है। यह मामला गत 11 जुलाई को एसटीएच में इलाज के दौरान बंदी इरशाद की मौत का है। पुलिस ने मृतक के पिता की तहरीर पर अज्ञात बंदियों और बंदीरक्षकों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। मृतक के पिता का आरोप है कि उसके बेटे को बंदियों और बंदीरक्षकों ने मिलकर हत्या की गई है और बीमारी से मौत की बात गलत है।
अब ताजा घटना एसटीएच में इलाज के दौरान बंदी इरशाद की मौत के मामले से जुड़ी है। आपको बता दें कि रामपुर जिले के अहमदाबाद बिलासपुर निवासी 55 साल के इरशाद को रुद्रपुर पुलिस ने विविध धाराओं में गत 25 मई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 11 जुलाई को उसकी एसटीएच में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इरशाद के पिता इशाक बली ने एसएसपी को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि वह 09 जुलाई को बेटे से मिलने के लिए जेल गए थे। उस समय ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने उसे मिलने नहीं दिया और डांटकर भगा दिया। 12 जुलाई को फोन कर सूचना मिली कि 11 जुलाई को एसटीएच में उनके बेटे की मौत हो गई है। लिहाजा उसका आरोप है कि इससे पहले उसके बेटे की बीमारी की जानकारी जेल प्रशासन ने नहीं दी थी। बेटे की हत्या जेल में करने के बाद बीमारी की झूठी कहानी गढ़ी गई है। अब इस मामले में कोतवाली पुलिस ने धारा 302 के तहत अज्ञात बंदीरक्षकों और बंदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। है।
उपचार के दौरान हुई थी बंदी की मौत, कोई मारपीट नही हुई : जेल अधीक्षक
जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा का कहना है कि बंदी इरशाद को टीबी रोग था। बंदीरक्षकों ने तबियत खराब होने पर उसे 10 जुलाई को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया था। अगले दिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मेडिकल चौकी पुलिस ने दो डॉक्टरों के पैनल से वीडियोग्राफी के बीच उसका पोस्टमार्टम कराया था। मारपीट करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।