भोटिया कुत्तों ने तेंदुए (Leopard) से बचाई बकरी और चारवाहे की जान

तेंदुए से भिड़ा भोटिया कुत्ता,

तेंदुए से भिड़ा भोटिया कुत्ता

अल्मोड़ा/रानीखेत। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बाघ-तेंदुए के दुश्मन के रूप में विख्यात भोटिया कुत्तों (झबरू श्वान) ने अपनी वफादारी की एक बड़ी मिसाल पेश की है। इन कुत्तों ने तेंदुवे के जबड़े से न केवल बकरी को छुड़ा लिया, बल्कि मुश्किल हालत में फंसे अपने मालिक की भी जान बचा ली है।

Bhotiya Dog VS Leopard

Bhotia dogs saved lives of goat and shepherd from leopard : दरअसल, कालीगाढ़ पट्टी के जंगल में चरवाहों के साथ बकरियों के झुंड में तैनात भोटिया कुत्तों ने गत रात्रि गुलदार के हमले में घायल चरवाहे की जान बचाने में अहम भूमिका अदा की है। यह घटना साबित करती है कि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले यह झबरू या भोटिया कुत्ते कितने हिम्मती और वफादार होते हैं।

बता दें कि बीते दिनों गढ़वाल से भेड़ पालकों की एक टोली अल्‍मोड़ा जनपद पहुंची थी। यह लोग रात यहां मजखाली हाईवे पर द्वारसौं के पास ठहरे हुए थे। इस बीच इन चारवाहों ने कालीगाढ़ के जंगल में अपने तंबू लगाए और अपने कुत्तों को भेड़-बकरियों की पहरेदारी में लगा दिया।

बताया गया है कि रात के वक्त कई चरवाहे भोजन बनाकर सोने चले गये। जिनमें डबल सिंह, यशपाल सिंह नेगी आदि शामिल थे। चरवाहों ने बताया कि रात के वक्त एक तेंदुआ अचानक कहीं से आ गया। जिसने घात लगाकर बकरियों के झुंड पर हमला कर दिया। तेंदुवे ने एक बकरी को अपने जबड़े में दबा लिया।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन भेड़-बकरियों की रखवाली करने वाले चरवाहे भी काफी दिलेर किस्म के होते हैं। तेंदुवे को बकरी के जबड़े से बचाने के लिए एक चारवाहा यशपाल तेंदुए के पास दौड़ा गया। यह देख तेंदुवा चरवाहे पर ही झपट गया। जिसके बाद नजारा बदल गया। तेंदुवा अब बकरी के साथ चारवाहे पर भी जबरदस्त हमला कर रहा था। उसने नाखूनों व अपने दांतों से चरवाहे पर भी हमला बोल दिया।

तेंदुए से भिड़ा भोटिया कुत्ता

ऐसे कठिन समय में आवाज सुनकर भोटिया कुत्तों का झुंड वहां आ गया और तेंदुए पर झपट पड़े। यह देख तेंदुवा बकरी व चारवाहे को जख्मी हालत में छोड़ वहां से भाग गया। यदि समय पर कुत्ते नहीं आते तो तस्वीर का रूख बहुत भयानक हो सकता था।

इधर घटना की सूचना मिलने पर द्वारसों चौकी में तैनात वन कर्मी राजेंद्र प्रसाद घटना स्थल आये। उन्होंने एक वाहन से घायल को नागरिक अस्पताल भर्ती कराया। डॉक्टरों के अनुसार अब चारवाहे की हालत खतरे से बाहर है। उसे तेंदुए (गुलदार) ने काफी जख्मी किया है।

ज्ञात रहे कि भेड़-बकरियां और कुत्तों को लेकर चलने वाले इन चारवाहों को शौका जनजाति के नाम से जाना जाता है। यह घुमंतू लोगों का दल होता है। यह हर साल अल्मोड़ा आते हैं। रानीखेत में इनका नाइट पहला हॉल्ट कालीगाढ़ रहता है, जबकि दूसरा भतरौजखान रहता है। इनके पास रहने वाले कुत्ते बहुत वफादार होते हैं और लंबी दूरी की यात्रा करते हैं।

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