उपलब्धि: अल्मोड़ा जिले के अमित व श्वेता को आईएएस की परीक्षा में सफलता, जिले का नाम किया रोशन, क्षेत्र में खुशी की लहर

अल्मोड़ा। संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को यूपीएससी 2019 की परिणाम जारी कर दिया है। जिसमें अल्मोड़ा के अमित दत्त व लमगड़ा की श्वेता…

अल्मोड़ा। संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को यूपीएससी 2019 की परिणाम जारी कर दिया है। जिसमें अल्मोड़ा के अमित दत्त व लमगड़ा की श्वेता नगरकोटी ने सफलता हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है। श्वेता ने पारिवारिक संकट झेलते हुए बड़ी सफलता हासिल कर यह संदेश दे डाला है कि लगन व मेहनत के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।
अल्मोड़ा निवासी अमित दत्त ने इस परीक्षा में 761वीं रैंक हासिल कर सफलता अर्जित की है। उनकी इस उपलब्धि पर उनके परिवार व क्षेत्र में खुशी की लहर है। अल्मोड़ा नगर के भ्यारखोला निवासी के अमित दत्त के पिता सुनील दत्त ने बताया कि अमित ने 2017 में उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा पास की थी। वर्तमान में वह कार्मिशियल टैक्स आफिसर के पद पर ट्रेनी के रूप में हल्द्वानी में कार्यरत है। अमित ने 12वीं तक की पढ़ाई कूर्मांचल एकेडमी अल्मोड़ा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। बाद में उन्होंने कुमाउं विवि के सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा से इतिहास विषय से एमए किया। अमित के पिता सुनील दत्त उत्तराखंड पेयजल निगम में ड्रॉफ्टमैन के पद पर कार्यरत हैं, जबकि माता शारदा देवी गृहणी है। अमित के दो भाई व एक बहन हैं। उनकी इस उपलब्धि पर नगर व उनके परिजनों में हर्ष का माहौल है।
जैंतीः मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा निवासी नर सिंह नगरकोटी की मेधावी एवं होनहार बेटी श्वेता ने यूपीएससी की परीक्षा में दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली। उन्होंने 410वीं रैंक हासिल की। इस सफलता पर पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है और सफलता की भनक लगते ही उसके घर में बधाईयों की बौछार हो गई है। श्वेता की यह सफलता बेहद प्रेरणादायी है। श्वेता का एक छोटा भाई भी है, जो आईटीआई करने का ख्वाब संजोये है। विपरीत हालातों में संघर्ष के दम पर श्वेता ने यह मुकाम हासिल किया है। जब वर्ष 2009 में श्वेता 12वीं में पढ़ती थी, तब कंपनी बंद होने से उनके पिता की कंपनी से नौकरी छूट गई। श्वेता को अपनी आगे की पढ़ाई छूट जाने का भय सताने लगा। मगर माता-पिता के संघर्ष और प्रेरणा ने श्वेता का हौंसला नहीं गिरने दिया, हालांकि उस दौरान विषम परिस्थिति साथ थी। माता आशा नगरकोटी ने स्वरोजगार शुरू कर अपने पति का साथ दिया, लेकिन बच्चों की पढ़ाई में विषम परिस्थिति को आड़े नहीं आने दिया। उधर श्वेता पूरी लगन से एक दिन सफलता का ख्वाब संजोये मेहनत पर जुटी रही। दरअसल, श्वेता के पिता नर सिंह नगरकोटी गाजियाबाद में इलेक्ट्रानिक्स फैक्ट्री में काम करते थे। नौकरी छूटने के बाद वह हल्द्वानी में अपना मकान बना कर रहने लगे और वहां परचून की दुकान खोल दी। दुकानदारी रास नहीं आई, तो फिर गाजियाबाद लौट गए। जहां किराए के कमरे लेकर रहने लगे। ऐसे संकट के बीच श्वेता ने प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई गाजियाबाद में की। उसने बीएससी बायो टैक्नोलॉजी से की और मनोविज्ञान विषय से एमए किया। बीएससी के बाद श्वेता ने यूपीएससी की ठान ली थी और उसी दिशा में कड़ी मेहनत शुरू कर दी। पहली बार उसे सफलता नहीं मिली, मगर उसका जुनून कम नहीं हुआ। इसी परिणाम है कि इस बाद 410वीं रैंक के साथ सफलता हासिल कर दम लिया।

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