अल्मोड़ा : मनोज तिवारी का राजतिलक ! भाजपा के लिए आत्ममंथन का समय

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 6 में से 4 सीटें जीतना भाजपा के लिए जहां एक उपलब्धि है, वहीं द्वाराहाट व अल्मोड़ा सीट…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 6 में से 4 सीटें जीतना भाजपा के लिए जहां एक उपलब्धि है, वहीं द्वाराहाट व अल्मोड़ा सीट की हार एक बड़ा धक्का भी है। खास तौर पर अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कैलाश शर्मा जीतते—जीतते बेहद मामूली अंतर से हारे हैं। निश्चित रूप से अब यह समय भाजपा के लिए आत्ममंथन का होना चाहिए, कि आखिरकार अल्मोड़ा विधानसभा में हार का प्रमुख फैक्टर क्या रहा।

आपको बता दें कि अल्मोड़ा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज तिवारी ने कांटे की टक्कर में भाजपा प्रत्याशी कैलाश शर्मा को मात्र 127 मतों से पराजित किया है। मनोज तिवारी को 24439 मत तथा कैलाश शर्मा को 24312 मत मिले।

जहां तक कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का सवाल है, वहीं तमाम राजनैतिक जानकारों का यही कहना है कि मनोज तिवारी की सालों की मेहनत, निरंतर सक्रियता, आम जनता से लगार जुड़ाव व कांग्रेस के अल्मोड़ा संगठन की बेहतरीन प्लानिंग जीत का कारण बनी है। ​जानकारों का यही कहना है कि लगातार जनता के बीच बने रहना मनोज तिवारी का प्लस प्वाइंट रहा।

वर्तमान चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जिस तेज रफ्तार से गांव—गांव, मोहल्ले—मोहल्ले में जन संपर्क किया, उस लिहाज से भाजपा प्रत्याशी उनका मुकाबला नहीं कर पाये। कांग्रेस प्रत्याशी के कारक तत्वों में इस बार मुसलिम वोट का एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करना भी रहा है। साथ ही दलित वर्ग को साधने में भी कांग्रेस भाजपा के मुकाबले अधिक समर्थ रही।

वहीं दूसरी ओर इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक प्लस प्वाइंट यह भी रहा कि पूर्व से ही लगभग यह तय हो चुका था कि मनोज तिवारी ही टिकट के सबसे प्रबल दावेदार हैं। हालांकि भीतरी मतभेद कांग्रेस में भी था, लेकिन इसके बावजूद असंतुष्ट चल रहे कांग्रेसी नेता बिट्टू कर्नाटक को समय पर साध लिया गया और तिवारी को प्रचार के लिए भाजपा प्रत्याशी से अधिक समय मिला।

वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी कैलाश शर्मा के टिकट को लेकर काफी समय तक संदेह बना हुआ था। भाजपा एक धड़ा पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह चौहान की दावेदारी का ही समर्थन करता रहा। अंत में टिकट वितरण हुआ तो असंतोष के स्वर भी फूटे। मान मनौव्वल में भी काफी समय व्यतीत हो गया। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले भाजपा प्रत्याशी का पूर्व से जनता से वह संपर्क नहीं रहा, जिसकी चुनाव जीतने के लिए जरूरत होती है।

वहीं हार की एक वजह भाजपा संगठन भी है, जिन्होंने शायद मनोज तिवारी की बढ़ती लोकप्रियता को कम आंक लिया और पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा को लेकर उम्मीद लगाये रखे। हालांकि हार—जीत के कारक तत्वों का विश्लेषण करने में बहुत से तथ्य ऐसे भी हैं, जो समय के साथ—साथ सामने आयेंगे। इसमें कहीं भीतरघात भी एक हो सकता है।

जानिये कौन कहां से कितने मतों से जीता —

द्वाराहाट —
द्वाराहाट में कांग्रेस प्रत्याशी मदन सिंह बिष्ट ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी अनिल सिंह साही को 182 मतों से पराजित किया। मदन बिष्ट को 17766 और अनिल साही को 17584 मत मिले।

सल्ट —
सल्ट से भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रावत को 3688 मतों से हराया। महेश जीना को 22393 तथा रंजीत रावत को 18705 मत मिले।

रानीखेत —
रानीखेत में भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी करन माहरा को 2584 मतों से पराजित किया। प्रमोद नैनवाल को 21047 तथा करन माहरा को 18463 मत मिले।

सोमेश्वर —
सोमेश्वर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी रेखा आर्या ने कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र बाराकोटी को 5293 मतों से पराजित किया। रेखा आर्या को 26161 मत औरराजेन्द्र बाराकोटी को 20868 मत मिले।

जागेश्वर —
जागेश्वर से भाजपा प्रत्याशी मोहन सिंह महरा ने कांग्रेस प्रत्याशी गोविन्द सिंह कुंजवाल को 5883 मतों से हराया। मोहन सिंह महरा को 27530 मत तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल को 21647 मत मिले।

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