सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां गर्भधारण पूर्व एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 की विस्तार से जानकारी देने के लिए कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें बताया गया कि गर्भधारण एवं प्रसव से पहले लिंग जांच कराना दंडनीय अपराध है और ऐसा करने पर 05 साल तक की कैद हो सकती है।

राजकीय नर्सिंग कालेज अल्मोड़ा के सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गर्भधारण पूर्व एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 पर संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कालेज की छात्राओं दीक्षा कन्याल व तनूजा ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किये। इसके अलावा वाद—विवाद, लोकनृत्य व भाषण के जरिये भ्रूण हत्या व प्रसवपूर्व लिंग जांच रोकने की जानकारी दी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरसी पंत ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम की विस्तार से जानकारी दी। उन्होेंने लड़का—लड़की में भेदभाव समाप्त करने पर जोर दिया। पीसीपीएनडीटी के जिला समन्वयक हिमांशु मुस्यूनी ने अधिनियम के संबंध में संस्थान की छ़ात्राओं को बताया कि गर्भधारण और प्रसव से पूर्व शिशु का लिंग जांच कराना दंडनीय अपराध है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर 05 वर्ष की कैद व 50 हजार रुपये पर आर्थिक दंड का प्रावधान है।

संस्थान की प्राचार्या आशा गंगोला की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में सीएमओ कार्यालय से डा. हेमलता, डा. साम्भवी, डा. ललित पांडे, संजय जोशी, भारत कुमार, गोकुलानंद, सोनाली, दीवान सिंह, रवि मिश्रा, कृष्णा, कमलेश भट्ट व सुंदर जीना आदि शामिल रहे।