सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां प्राचीन परंपरा के अनुसार दुगालखोला में ‘सातों-आठों पर्व’ शुरू हो गया। सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रमणि भट्ट के आवास पर मोहल्ले की महिलाओं ने आज गौरा, महेश व गणेश की पांच अनाजों के पौधों की मदद से प्रतिकृति बनाई और डोर व दुबड़ को अनुष्ठानपूर्वक ग्रहण किया।
मालूम हो कि जिस प्रकार पुरुषों में उपनयन व यज्ञोपवीत धारण किया जाता है, ठीक उसी प्रकार महिलायें भी गले अथवा बाजू में डोर व दुबड़ पहनती है। जिसे अनुष्ठान के साथ ग्रहण किया जाता है। जिसे सातों-आठों पर्व कहा जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के साथ ही इस पर्व पर गौरा, महेश्वर की पूजा की जाती है। जिसमें नन्दा को गौरा कहा जाता है। महिलाओं की पूजा-अर्चना के साथ आज तीन दिवसीय कार्यक्रम का संयोजन भगवती गुर्रानी व्यवस्था तारा भट्ट ने की। इस कौशल्या पाण्डेय, गंगा असवाल, खष्टी भट्ट, कान्ति पाण्डेय, हेमा पाण्डेय, आशा पाण्डेय, गीता पोखरिया, कमला भट्ट, संगीता भट्ट, भावना भट्ट, भावना काण्डपाल, जानकी काण्डपाल, कविता पाण्डेय सहित स्थानीय समस्त महिलाओं ने कार्यक्रम भाग लिया।