अल्मोड़ा। जहां एक ओर स्वावभाविक रूप से लंबे लाॅकडाउन से हर कारोबार प्रभावित रहा है। खासकर गरीब तबके के लोगों की आर्थिक व रोजगार की समस्या बढ़ गई। सरकार को नये-नये निर्णय लेने पड़ रहे हैं। मगर धरातल पर स्थिति विरोधाभाषी सी प्रतीत होती है। इस बात का एक उदाहरण मेहनतकश दुग्ध उत्पादक हैं। ये गरीब दुग्ध उत्पादक उम्मीद में थे कि सरकार उनके हित में भी कोई निर्णय लेगी। मगर सच्चाई ये है कि पिछले एक साल के दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन की धनराशि का भुगतान तक सरकार ने नहीं किया और ऐसा ही एक मामला इससे पहले का लंबित है। ऐसे में दुग्ध उत्पादक मायूस हैं। भुगतान लंबित होने के इन मामलों को दुग्ध विकास संगइन के नेताओं ने उजागर किया है। चेतावनी दी है कि यदि जल्द सरकार ने यह धनराशि अवमुक्त नहीं की, तो पहली जुलाई से आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा।
दुग्ध विकास संगठन के अध्यक्ष आनन्द सिंह बिष्ट समेत दुग्ध संघ अल्मोड़ा की प्रबन्ध कमेटी के पूर्व सदस्य ब्रहमानंद डालाकोटी व मनिआगर समिति के पूर्व अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य शिवराज बनौला ने रविवार को संयुक्त रूप जारी विज्ञप्ति में कहा है कि एक ओर सरकार लाखों-करोड़ों रूपये के पैकेज की घोषणा कर रही है और स्वरोजगार पर जोर दे रही है। मगर दूसरी ओर उत्तराखण्ड सरकार ने अभी तक अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक की दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन की धनराशि नहीं दी है। जिससे दुग्ध उत्पादक मायूस हैं। इतना ही नहीं मौजूदा राज्य सरकार ने अक्टूबर 2016 से मार्च 2017 तक की यह धनराशि भी दुग्ध उत्पादकों को नहीं दी। इस मसले को पिछली कांग्रेस सरकार का मामला बताकर टाल दिया। उन्होंने अविलंब लंबे समय से अटकी दुग्ध मूल्य प्रोत्सााहन की राशि देने की पुरजोर मांग की है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के चलते कई दिन समितियों का दुग्ध संग्रह कार्य बन्द रहा। इसके साथ ही कई अन्य परेशानियों के चलते दुग्ध उत्पादका गंभीर आर्थिक संकट झेलने को मजबूर हैं। ऐसे में सहायता तो दूर सरकार लंबित दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन राशि को रोके बैठी है या इसके भुगतान में विलम्ब राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न् लगाता हैै।
दुग्ध विकास संगठन के लोगों ने कहा है कि पशु आहार व पशु चारे में दी जाने वाली सरकारी मदद भी अभी दुग्ध संघों को जारी नहीं की गयी है। उन्होंने बिना देर किए पशु आहार सहित दुग्ध उत्पादकों को मिलने वाले सभी अनुदानों की धनराशि दुग्ध संघों को अवमुक्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जहां इस समय दुग्ध उत्पादकों को सीधे आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, वहां सरकार दुग्ध संघों के माध्यम से बैंक में ऋण साख सीमा बनवाने जैसे कदमो पर जोर दे रही है। जो दुग्ध उत्पादक एक किसान होने के नाते पहले ही बैंकों में ऋण साख सीमा बना चुके हैं, लाॅकडाउन के कारण उनकी साख सीमा खराब खातों में बदल चुकी है और बैंक किसानों को पैसा जमा कराने के लिये दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी तरह से साख सीमा बन भी गयी, तो यह उपयोगी कैसे होगी क्योंकि दुग्ध उत्पादक जब पुराने ऋण ही चुकता नहीं कर पा रहे हों। उक्त नेताओं ने दुग्ध उत्पादकों द्वारा पूर्व मे लिये गये ऋणों में राहत पहुंचाने के लिये ऋण माफ करने जैसी योजना चलाने की मांग की है। उक्त मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में पहली जुलाई से आंदोलनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
अल्मोड़ाः इधर नई-नई घोषणाएं उधर पुराना हिसाब भी चुकता नहीं, मायूस हुए गरीब दुग्ध उत्पादक, आंदोलन की धमकी
अल्मोड़ा। जहां एक ओर स्वावभाविक रूप से लंबे लाॅकडाउन से हर कारोबार प्रभावित रहा है। खासकर गरीब तबके के लोगों की आर्थिक व रोजगार की…