सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
अगर कुमाऊं मंडल की विलुप्त हो रही जीवनदायिनी नदियों का पुनर्जन्म नहीं हुआ, तो पहाड़ में डेढ़ दशक में भीषण जल संकट पैदा हो जाएगा। इसलिए उन्हें पुनर्जीवित करने के सार्थक व ठोस प्रयास बेहद जरूरी हैं। इस पर कार्य योजना बनाकर अभियान चलाया जाए। यह बात आज कुमाऊं मंडल के जिलाधिकारियों की बैठक में कुमाऊं मंडल आयुक्त सुशील कुमार ने की। यह बैठक वर्चुअल माध्यम से ली गई।
आयुक्त ने बताया कि कुमाऊं मंडल में 22 नदियां हैं, इनमें से कुछ नदियां लुप्त हो चुकी हैं और जो नदियां वर्तमान में प्रभावमान हैं, उनके जलस्तर में भी काफी कमी आ रही है। उन्होंने इसे चिंता का विषय बताया और सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि नदियों के घटते जलस्तर को देखते हुए 10 से 15 वर्ष पश्चात जल संकट पैदा हो सकता है। इसलिए नदियों के पुनर्जन्म अभियान को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रत्येक जनपद में जिला स्तरीय क्रियान्वयन समितियों का गठन किया गया है, जो नदियों के संरक्षण में आ रही समस्याओं के समाधान में सहयोग करेगी।
उन्होंने जनपद में ऐसी नदियों को चिन्हित करने के निर्देश दिए जो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं। ऐसी नदियों को पुनर्जनन समिति के सहयोग से संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। आयुक्त ने कहा कि चाल-खाल बनाकर भूमिगत जल की रक्षा की जा सकती है जिसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र पर समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि चाल-खाल बनाने से भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।