बागेश्वर। कपकोट तहसील के चचई और जागथाना गांव में फैले जानलेवा गलघोंटू बीमारी के बारे में जिला स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से गुस्साए ग्रामीणों व कांग्रेस कार्यकर्ता इस समय मुख्य जिला चिकित्साधिकारी के कार्यालय के बाहर नारेबाजी कर रहे हैं। धरना और नारेबाजी को लगभग डेढ़ घंटा बीत चुका है और अभी तक कोई भी अधिकारी गुस्साए लोगों की बात सुनने नहीं आया है। पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण के नेतृृत्व दर्जनों लोग धरने पर बैठे हुए हैं।
ज्ञातव्य है कि चचई और जागधाना गांव में अब तक गलघोंटू बीमारी से सात बच्चों की जान चली गई है। लेकिन जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग ने इस गांव में कोई ऐसा उपाय नहीं किया है जिससे इस बीमारी को रोका जा सके। पूर्व विधायक फर्स्वाण ने कहा कि चचई और जागधाना गांव में कई बच्चे बीमारी से जूझ रहे हैं। इन दोनों गांव में अब तक जिले में कोरोना से मरने वालों की संख्या से तीन गुना ज्यादा जानें जा चुकी हैं। फिर भी विभाग इस जानलेवा बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
आज जब ग्रामीण मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे थे ठीक उसी समय सरकारी दवाओं से भरा एक ट्रक वहां आ गया। धरने पर बैठे लोगों ने अपनी जगह छोड़ कर ट्रक को रास्ता दिया लेकिन ट्रक वहीं पर खड़ा कर दिया गया और उसमें भरी दवाए व अन्य सामान उतारा जाने लगा। इससे धरने पर बैठे लोग और भड़क गए। उन्होंने नारेबाजी तेज कर दी बाद में ट्रक को वहां से हटाया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि अब तक चचई की 13 वर्षीय दिव्या पुत्री दिनेश,
14 नीरज कुमार पुत्र गोपाल राम, 7 साल के अंकित आर्या पुत्र दीवान राम,
15 वर्षीय सपना पुत्री भादो राम,16 वर्षीय हिमानी पुत्री मदन राम, 3 गौरव कुमार पुत्र जोगाराम और जागथाना के 8 वर्षीय कृष्णा पुत्र प्रताप सिंह की गलघोंटू यानी डिप्थीरिया से मौत हो चुकी हैं। उनका कहना है कि इन्ही लक्षणों वाली बीमारी से चचई गांव में 38 वर्षीय खड़कराम की मौत भी हो चुकी है।
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लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि गलघोंटू बीमारी बच्चों में ही अपना घातक असर दिखाती है। उनका कहना है कि यह बीमारी जागथाना, सुमटी, बैशानी, नान कन्यालीकोट, पुडकुनी और चककाना गांवों समेत पूरी कनगड़ घाटी में फैल चुकी हैं।
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