नारायण सिंह रावत
सितारगंज। उत्तराखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व परंपराओं के कारण देश और दुनिया में अलग पहचान रखता है। यहां की प्राचीन लोककला ऐपण अपनी अलग पहचान रखती है। एक ऐसा समय भी आया जब यह लोककला विलुप्त होने की कगार पर थी , लेकिन देवभूमि के युवाओं ने एक बार फिर इस लोककला को जीवित कर दिया है, वह भी नए अंदाज में। इनमें से एक हैं अभिलाषा पालीवाल। वह ऐपण कला को नई पहचान देने में जुटीं हैं।
अभिलाषा ऐपण कला के क्षेत्र में चर्चित नाम बन चुकी हैं। इस कला को नया मुकाम देने के लिए उन्होंने ऐपण से जुड़ा पर्वतजन नाम से छोटा लघु उद्योग शुरू किया। इसके माध्यम से वह केवल स्वरोजगार से जुड़ीं हैं। उन्होंने बताया कि ऐपण कला से सुसज्जित पेंटिंग, क्राफ्ट, नेम प्लेट व उत्तराखंड की अन्य सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी वस्तुएं तैयार करती हैं।
जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा तैयार ऐपण पेंटिंग्स की डिमांड विदेशों तक बढ़ गई है। अभिलाषा ने बताया कि वो कला में पहले से ही रूचि रखती थी। देहरादून से फैशन डिजाइनर का कोर्स किया और दिल्ली चलीं गई। शादी के बाद परिवार के सहयोग से ऐपण कला पर काम शुरू किया। वह निरंतर इस कला के माध्यम से अलग-अलग प्रयोग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मेरा प्रयास है कि इसको अलग अलग तरह से हम दिखा सकें और जब ऐपण लोगों तक पहुंचे तो उनको कला के साथ-साथ एक अच्छी जानकारी भी मिले। अपनी परम्पराओं के प्रति लोगों में जागरूकता आए।
उन्होंने बताया कि यह मेरा एक छोटा सा प्रयास है वो अपने काम के साथ-साथ क्वालिटी पर भी ध्यान दे रही है। इसके लिए उन्होंने एक वेबसाइट भी तैयार की है। उनके ऐपण की डिमांड विदेशों तक है।