किच्छा । नियम कानून को ताक पर रखकर महिला मरीजों की डिलीवरी किए जाने सहित अन्य ऑपरेशन करने की सूचना पर प्रशासन की टीम ने किच्छा के लाइफ लाइन अस्पताल में औचक छापामार कार्यवाही की गई। कार्यवाही के दौरान शिकायत सही पाई गई। शिकायत सही पाए जाने के बाद प्रशासन की टीम ने अस्पताल में भर्ती महिला मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाते हुए अस्पताल को सीज कर दिया ।
जानकारी के अनुसार शिकायत मिलने के बाद उप जिलाधिकारी विवेक प्रकाश व डिप्टी सीएमओ अविनाश खन्ना के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ग्राम सिरौली स्थित लाइफ लाइन अस्पताल पहुंची। अस्पताल में 3 महिला मरीज भर्ती थीं और उनका उपचार किया जा रहा था। जांच के दौरान प्रशासन की टीम ने अस्पताल में आईसीयू कक्ष ना होने के बावजूद मौके पर ऑपरेशन के उपकरण पाए जाने के बाद सभी उपकरणों को कब्जे में ले लिया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल की छत पर बायोमेडिकल सामान के इधर-उधर बिखरे होने पर डिप्टी सीएमओ ने अस्पताल संचालक जीशान अहमद तथा महिला चिकित्सक सुनीता हांग की जमकर फटकार लगाई।प्रशासन को शिकायत मिली थी कि अस्पताल संचालक द्वारा नियमों को ताक पर रखकर मरीजों का ऑपरेशन तथा महिलाओं की डिलीवरी आदि के ऑपरेशन किए जा रहे हैं । शिकायत सही पाए जाने तथा तमाम खामियां पाए जाने के बाद प्रशासन की टीम ने लाइफ लाइन अस्पताल को सीज कर दिया । डिप्टी सीएमओ अविनाश खन्ना ने नोटिस जारी करते हुए अस्पताल संचालक व महिला चिकित्सक सुनीता हांग से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने बताया कि स्पष्टीकरण मिलने के बाद नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही के दौरान हॉस्पिटल में भर्ती तीन महिला मरीजों को डिप्टी सीएमओ ने एंबुलेंस के माध्यम से उपचार के लिए नगर के सरदार बल्लभ भाई पटेल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा दिया। निजी अस्पताल द्वारा लॉक डाउन के बीच मरीजों के स्वास्थ्य तथा जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । हॉस्पिटल को सीज किए जाने का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पहले भी रहा है चर्चाओं में चिकित्सालय
किच्छा। अपनी कार्यप्रणाली को लेकर लाइफ लाइन अस्पताल पूर्व में भी चर्चाओं में रहा है । करीब डेढ़ वर्ष पूर्व निवर्तमान उप जिलाधिकारी नरेश चंद्र दुर्गापाल तथा डिप्टी सीएमओ अविनाश खन्ना द्वारा इसी अस्पताल में औचक छापा मार कार्यवाही की गई थी तथा बायोमेडिकल सामग्री के अस्त-व्यस्त पड़े होने तथा उचित व्यवस्था ना होने के चलते जुर्माना लगाया गया था।बावजूद इसके हॉस्पिटल प्रबंधक द्वारा कोई सबक नहीं लिया गया।
बिजली चोरी का भी अंदेशा
किच्छा। हॉस्पिटल में बिजली चोरी को लेकर भी अंदेशा जताया जा रहा है । हॉस्पिटल की छत पर दर्जनों तारों के जोड लगे होने तथा नंगी तारों के मिलने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हॉस्पिटल में बिजली की खपत अधिक कर विद्युत विभाग को लाखों रुपए का प्रति वर्ष चूना लगाने का काम हॉस्पिटल प्रबंधक द्वारा किया जा रहा है । हॉस्पिटल की छत पर मिली अस्त-व्यस्त तारों तथा जहां-तहां लगे तारों के जोड से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि विद्युत पोल से तार को डायरेक्ट जोड़कर विद्युत उपकरण चलाए जा रहे हैं जबकि खानापूर्ति के लिए विद्युत मीटर से हल्के उपकरणों को सप्लाई दी गई है। पूरे मामले में विद्युत विभाग को भी मामले की जांच करनी चाहिए।