ऋषिकेश न्यूज : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में एम्स ऋषिकेश में होगा स्त्री वरदान कार्यक्रम

ऋषिकेश। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में एम्स ऋषिकेश के रिकंस्ट्रक्टिव एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी विभाग की ओर से संस्थान में रविवार को स्त्री वरदान अभियान…

ऋषिकेश। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में एम्स ऋषिकेश के रिकंस्ट्रक्टिव एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी विभाग की ओर से संस्थान में रविवार को स्त्री वरदान अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, एम्स ऋषिकेश की पहल पर आयोजित विश्वव्यापी इस अभियान का ध्येय वाक्य है “चुप्पी तोड़ो, स्त्रीत्व से नाता जोड़ो”। ​स्त्रियों की समस्याओं पर आधारित एम्स की इस पहल पर आयोजित कार्यक्रम में देश और उत्तराखंड राज्य की कई लब्ध प्रतिष्ठित हस्तियां प्रतिभाग करेंगी।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में सूबे की महामहिम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज, स्वामी देवानंद सरस्वती महाराज, स्वामी विजय कौशल महाराज, हंस फाउंडेशन की प्रमुख माता मंगला, राष्ट्रीय महिला आयोग, भारत सरकार की चेयरपर्सन रेखा शर्मा, यमकेश्वर क्षेत्र की विधायक ऋतु खंडूड़ी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. चिन्मय पांड्या, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक श्री आशीष गौतम प्रमुखरूप से शामिल होंगे। गौरतलब है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश की ओर से अपनी तरह के अनूठे स्त्री वरदान कार्यक्रम की शुरुआत गतवर्ष 31 अक्टूबर 2020 को रिकंस्ट्रक्टिव एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी विभाग के डॉक्टर नवनीत मग्गो के मार्गदर्शन में की गई थी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की निजी समस्याओं का निवारण करना है।

डा. मग्गो के अनुसार रिकंस्ट्रक्टिव एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी विभाग, विश्व में अपनी तरह का पहला ऐसा विभाग है जो एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत की दिव्यदृष्टि से 2020 में स्थापित किया गया था। ऋ​षिकेश एम्स के स्त्री वरदान कार्यक्रम के निदेशक डॉ. नवनीत मग्गो का कहना है कि यह कार्यक्रम उन अंतर्मुखी महिलाओं की आवाज़ बनेगा, जो अपनी निहायत निजी स्वास्थ्य समस्याओं को चुपचाप सहती रहती हैं।

एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत के मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम के माध्यम से देश की महिलाओं के कल्याण के लिए एक पहल की गई है, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड से की जा रही है। उम्मीद जताई कि यह संकल्प जल्द साकार होगा और महिलाएं अपनी पीड़ा से मुक्त होंगी।

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