उत्तराखंड : बहुचर्चित स्टिंग मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत को CBI का नोटिस

देहरादून | 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले को लेकर उत्तराखंड का सियासी पारा एक बार गरमा गया है। CBI ने पूर्व सीएम हरीश रावत…

देहरादून | 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले को लेकर उत्तराखंड का सियासी पारा एक बार गरमा गया है। CBI ने पूर्व सीएम हरीश रावत को नोटिस दिया और उन्हें वॉयस सैंपल के लिए चार जुलाई को सीबीआई कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है।

गुरुवार सुबह सीबीआई की टीम हरीश रावत के घर नोटिस लेकर पहुंची लेकिन वह नहीं मिले तो टीम वापस लौट गई। इस बात को लेकर राज्य के पूर्व सीएम ने केंद्र और धामी सरकार पर निशाना है। उन्होंने कहा कि CBI इतनी जल्दी में थी, वो उस वक्त मेरे घर पर नोटिस लेकर पहुंची जब मैं दोस्तों के घर ईद की मुबारकबाद देने गया था। हरिश रावत ने इस मामले पर फेसबुक पर एक पोस्ट भी किया है।

दोस्तो #CBI के नोटिस के संबंध में मैंने आपसे कहा था कि मैं पूरा सहयोग करूंगा! क्योंकि ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ेगी, न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर तर्क-वितर्क आएंगे, तो जो हमारे ऊपर आरोप लगे हैं और #भाजपा ने जिस तरीके से उन आरोपों को दुष्प्रचारित किया है, एक भ्रम पैदा किया है। मेरे सार्वजनिक जीवन के हित में है कि वो बातें, पूरी स्थितियां उत्तराखंड और देश के लोगों के सामने स्पष्ट हों। मगर CBI इतनी जल्दी में है कि आज सुबह जब मैं कुछ दोस्तों को #ईद की मुबारकबाद देने गया था तो उस दौरान मेरे घर पर नोटिस लेकर के पहुंच गए, मैं घर पर था नहीं। फिर मैंने निश्चय किया है कि मैं उनको खुद आमंत्रित करूं कि आएं और चाहें तो आज अर्थात 29 जून को ही मुझे नोटिस सर्व कर दें।

तब सही मानूंगा जब 2024 से पहले आ जाए सीबीआई जांच रिपोर्ट

पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि यह सब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर किया जा रहा है। इस कदम को तब सही मानेंगे जब 2024 से पहले सीबीआई की जांच रिपोर्ट आ जाए। वर्ष 2016-17 में हमें और राज्य को इससे जो नुकसान होना था हो चुका है। जिसे हम स्टिंग सूत्रधार मानते थे, उनका कहना है उन्हें स्टिंग की जानकारी नहीं थी। उनकी ओर से इसमें कुछ लोगों के नाम लिए गए हैं। यह नाम उस समय चर्चा में थे, इसमें से एक की अब भी लगातार उत्तराखंड में रुचि बनी है। अंकिता हत्याकांड में भी लोगों को शंका है कि यह वीआईपी वहीं तो नहीं था। पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार जिस तरह से काम कर रही है इससे कुछ दिक्कतें झेलनी पड़ेगी, समय के साथ सब स्पष्ट हो जाएगा।

यह है मामला

वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका एक स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था, इसमें विधायक मदन सिंह बिष्ट के होने का दावा किया गया। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के भी शामिल होने का दावा किया गया था। दोनों ही स्टिंग के बारे में उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। इसमें रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी स्टिंग प्रसारण के दौरान किया गया था। बाद में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। स्टिंग में जो आवाजें हैं उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी है।

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