नई दिल्ली/सीएनई। मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसा लगता नही है कि चीन सुधरने को तैयार है। एक तरफ बातचीत के जरिए समस्या का हल सुलझाने की बात चल रही है, वहीं चीन गलवान घाटी के पास लगातार अपनी सेना बढ़ाता जा रहा है।
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत और चीन के बीच गलवान घाटी के पास हालात कतई भी नही सुधरे नहीं हैं। 15 जून को जो कुछ भी हुआ, उसके बाद चीन ने भले ही नम्र रूख दिखाने का ढोंग रचा, लेकिन हकीकत तो यह है कि 1962 से आज तक चीन की वायदाखिलाफी और पीठ पर छुरा घोपने की पुरानी आदत में बिल्कुल भी बदलाव नही आया है। ताज़ा सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि चीन की सेनाएं पीछे नहीं हटी हैं जबकि और मजबूती के साथ मौजूदगी को बढ़ाया है, हालत यह है कि जहां विवाद हुआ था, वहां चीनी सैनिक आज भी मौजूद हैं।
ज्ञात रहे कि गत 15 जून के गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में भारतीय सेना चीन के साथ भिड़ी थी। वहां पर अब चीन ने नई पॉजिशन ले ली है। ग्राउंड ज़ीरो की हाइलेवल तस्वीरें दिखाती हैं कि 15 जून के बाद 22 जून को अब दोनों सेनाओं की ओर से नए टेंट लगाए गए हैं। 22 जून को ही की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। उस दिन ली गई तस्वीरों से पेट्रोल प्वॉइंट 14 के पास चीनी सेना का नया फॉरवर्ड बिल्ड-अप दिखता है। सैटेलाइट तस्वीर में इस प्वॉइंट के पीछे चीनी पक्ष की ओर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य दिख रहा है।
एक्सपर्ट भी इस बात को मान रहे हैं कि सैटेलाइट इमेज के अनुसार जो समझ आता है उससे लगता है कि चीन वादे के मुताबिक पीछे नहीं हटा है. यहां पर चीनी तंबुओं और स्टोरेज की क्षमता बढ़ गई है, जो चिंता की बात है। अलबत्ता चीन की हरकतों से भारत भी पूरी तरह वाकिफ है और सीमाओं पर भारतीय सेनाओं ने भी स्वयं को मजबूत करना शुरू कर दिया है।
….तो क्या भारत को युद्ध के लिए उकसा रहा है चीन ? जहां हुआ था संघर्ष, वहीं बढ़ा रहा अपना सैन्य जमावड़ा….
नई दिल्ली/सीएनई। मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसा लगता नही है कि चीन सुधरने को तैयार है। एक तरफ बातचीत के जरिए समस्या का हल…