अगले माह दुनिया छोड़ देगी यह लड़की, सरकार ने दी ‘इच्छा मृत्यु’ की अनुमति
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Dutch Woman Zoraya ter Beek Chooses Euthanasia : महज 28 साल की एक खूबसूरत लड़की अगले माह मई में इस संसार से अलविदा कह देगी। सरकार ने इसकी इच्छा मृत्यु की गुजारिश को स्वीकार कर लिया है। लड़की अब बेसब्री से मौत के दिन का इंतजार कर रही है। वहीं, पूरी दुनियां इससे पूछ रही है कि ”क्या यह जरूरी है, अंतिम विकल्प है !”
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यह हैरान करने वाला मामला नीदरलैंड का है। यह वह देश है जिसने इच्छामृत्यु के कानून को सबसे पहले वैधता प्रदान की थी। इस देश की रहने वाली 28 वर्षीय जोराया टेर बीक मई माह में दुनिया छोड़ देगी। उसने यह फैसला अपनी मानसिक बीमारियों के चलते लिया है।
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बता दें कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में इच्छामृत्यु को वैधता मिल चुकी है। हालांकि इसमें कई शर्तें भी हैं। ऐसी मांग करने वाले को साबित करना पड़ता है कि उसकी बीमारी का कोई उपचार नहीं है। ऐसे रोगी को चिकित्सक से यह प्रमाण पत्र लेना होगा कि उसकी बीमारी लाइलाज है।
जानिए, कौन है इच्छा मृत्यु मांगने वाली जोराया टेर बीक
जोराया टेर बीक (Zoraya ter Beek) सिर्फ 28 साल की है। दिखने में काफी आकर्षक व खूबसूरत भी है। उसे देख कर कोई नहीं कह सककता कि वह किसी बीमारी से ग्रसित होगी। हालांकि उसे कुछ मानसिक रोग हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह मानसिक रोग उसे कभी नहीं छोड़ेंगे। यही कारण है कि Zoraya ter Beek ने जिंदगी को मई माह में अलविदा कहने का फैसला ले लिया है। जोराया अब मई माह के बाद किसी को नही दिखेगी। उसक शरीर के साथ सकी बीमरी भी नष्ट हो जायेगी।
क्यों हार गई तुम जोराया ?
आज दुनिया जोराया से पूछ रही है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि तुमने संघर्ष का रास्ता छोड़ तरह का फैसला ले लिया। इसके जवाब में जोराया ने कहा कि वह डिप्रेशन, ऑटिज्म और बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित है। मृत्यु से उसे कतई डर नहीं लगता, लेकिन बीमार होकर जीने से वह डरी है। उसकी इच्छा है कि मौत के बाद उसे कब्र में दफनाने की बजाए जलाया जाये, ताकि कोई उसकी कब्र में न आये।
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किन देशों में है इच्छामृत्यु का कानून
- अमेरिका के वाशिंगटन और मोंटाना में चिकित्सक की सलाह पर इच्छा मृत्यु वैध है।
- स्विट्ज़रलैंड में स्वयं ज़हरीली सुई लेकर आत्महत्या करने की इजाज़त है, हालांकि इच्छा मृत्यु ग़ैर- क़ानूनी है।
- नीदरलैंड्स में डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छा मृत्यु और मरीज की मर्ज़ी से दी जाने वाली मृत्यु पर दंडनीय अपराध नहीं है।
- बेल्जियम में सितंबर 2002 से इच्छा मृत्यु वैधानिक हो चुकी है।
- भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 09 मार्च 2018 को मंजूरी थी। कहा था कि संविधा के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति को जिस तरह जीने का हक है। वैसे ही गरिमा के साथ मरने का भी है।
- ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है।यह भी जानिए —
नीदरलैंड ही वह देश है जिसने दुनिया में पहली बार इच्छा मृत्यु को कानूनी अनुमति दी है। वर्ष 2001 में वहां इच्छा मृत्यु को वैधता मिली और वर्ष 2022 में 8,702 इच्छामृत्यु के मामले सामने आ गए। अभी 5 फरवरी को ही नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइज वैन एग्ट ने अपनी पत्नी के साथ इच्छा मृत्यु का वरन कर लिया।
अलबत्ता दुनिया भर में आज भी इच्छा मृत्यु बहस का मुद्दा बना है। आलोचकों का कहना है कि जीवन और मौत ईश्वर के हाथ में है, लेकिन कई देश इसको लेकर कानून बना आत्महत्या को काननी वैधता देने में लगे हुए हैं। किसी को भी मरने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।