AgricultureAlmoraCNE SpecialUttarakhand

सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं देवभूमि उत्तराखंड के ये गाँव


भुवन बिष्ट

भारत गांवों में बसता है और देवभूमि उत्तराखंड की धड़कन हैं गाँव। देवभूमि के प्रत्येक गाँव अपनी विशेषताओं को लेकर प्रसिद्ध है और अन्न का भंडार भरने के लिए जाने जाते हैं। आज भले ही गांवों से पलायन जारी हो किन्तु अनेक गाँव आज भी सब्जी, अनाज, फल उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। अनेक गाँव गोभी, मटर,मिर्च के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं तो दूसरी ओर देवभूमि के अनेक गाँव फल उत्पादन के लिए भी जाने जाते हैं देवभूमि के इन गाँवों की फल सब्जियां जहां दूर—दूर तक मंडियों तक पहुंचती हैं और विभिन्न राज्यों तक अपनी महक को पहुंचाने में सफल रहती हैं। देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ के अनेक गाँव आज भी अपनी अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत विकासखण्ड के मौना, मकड़ो, मंगचौड़ा, चौकुनी, चमना, बिष्टकोटुली, नावली, म्वाण,बनोलिया तथा मटेला आदि गाँव अपने सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। मार्च से जून महीने तक इन गाँवों में बेल वाली सब्जियां विशेषकर प्रसिद्ध रहती हैं जिसमें मुख्यतः ककड़ी, लौकी,तुरई,करेला आदि प्रसिद्ध हैं इसके अलावा इस समय कददू ,मूली का भी उत्पादन काफी मात्रा में होता है और इन ताजी सब्जियों की मांग भी काफी मात्रा में होती है। इन गांँवों में वर्ष भर अलग अलग सब्जीयों का उत्पादन होता है। सब्जी उत्पादन में प्रसिद्ध इन गाँवों में जनवरी माह से ही खेतों को सब्जी के लिए तैयार करना व बीज बोने आदि का कार्य प्रारंभ हो जाता है तथा क्यारीयां बनाकर खेतों को तैयार किया जाता है तथा मार्च अप्रेल माह में लौकी, ककडी़(खीरा), कद्दू, मूली, तुरई, बैंगन, बीन,शिमला मिर्च, पालक,लहसुन, प्याज आदि का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है। इन सब्जियों को गाँव के उत्पादकों द्वारा स्थानीय बाजारों के अलावा दूर दूर तक भेजा जाता है। रानीखेत बाजार में इन गाँवों की ताजी सब्जियों के खरीददारों की सदैव भीड़ रहती है। तथा घिंघारीखाल और गगास में भी इन सब्जियों का भंडार देखा जा सकता है जहां से खरीददार दूर दूर के लिए भी इन सब्जियों को खरीदकर ले जाते हैं। इन गाँवों की सब्जियों को उत्पादकों द्वारा चौखुटिया,कर्णप्रयाग, द्वाराहाट, कफडा, सोमेश्वर, गरूड़ आदि दूर दूर स्थानों तक भेजा जाता है। इन गाँवों की प्रसिद्ध सब्जियों की दूर दूर तक काफी मांग रहती है और सब्जी उत्पादकों द्वारा इसकी पूर्ती की जाती है। इन गाँवो में वैसे तो वर्ष भर कुछ न कुछ सब्जियों का उत्पादन सदैव होते रहता है चाहे वह हरी सब्जियां हों, पालक, चौलाई, मूली, गढेरी,आलू आदि तथा इनके साथ साथ कुछ गाँवों में प्याज के पौधों की उपज, बैंगन, शिमला मिर्च के पौधों को भी बाजार में बेचा जाता है जिनकी काफी मात्रा में माँग रहती है और अन्य सब्जी उत्पादक, कृषक इन पौधों की खरीददारी करके अपने अपने खेतों में इन्हें उगाते हैं। और सब्जी उत्पादन करते हैं। सब्जी उत्पादन के द्वारा कृषक अपनी खेती बाड़ी, उद्यान पर आत्मनिर्भर भी होते हैं। यह रोजगार का भी एक सशक्त माध्यम होता है। आजकल भले ही गांवों में आवारा पशुओं, जंगली जानवरों, बंदरों के द्वारा बहुतायत मात्रा में खेतों को क्षति पहुंचायी जाती हैं किन्तु कर्मठता इन सब पर हावी होती है और अपनी कठिन मेहनत से सब्जी का बहुतायत मात्रा में उत्पादन किया जाता है। मौना,मकड़ो, मंगचौड़ा,चौकुनी, चमना, बिष्टकोटुली, नावली, म्वाण,बनोलिया,मटेला आदि गाँव अपने सब्जी उत्पादन के लिए जाने जाते हैं और दूर दूर तक पहुंचती है इन गाँवों के सब्जियों की महक। देवभूमि उत्तराखंड का हर कण कण अपनी महानता को प्रकट करता है आवश्यकता है केवल उसे तरासने की।

लेखक रानीखेत के मौना गांव के रहने वाले हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Back to top button
किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये पौधे, सेहत के लिए भी फायदेमंद Uttarakhand : 6 PCS अधिकारियों के तबादले शाहरूख खान की फिल्म डंकी 100 करोड़ के क्लब में शामिल हिमाचल में वर्षा, बर्फबारी होने से बढ़ी सर्दी Uttarakhand Job : UKSSSC ने निकाली 229 पदों पर भर्ती