Almora: बेवजह रेफर करने की प्रवृत्ति रोकी जाए—पाण्डे

➡️ सामाजिक कार्यकर्ता ने सीएमओ को सौंपा पत्र, रखीं कई मांगें व सुझावसीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ासामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरसी पंत…

➡️ सामाजिक कार्यकर्ता ने सीएमओ को सौंपा पत्र, रखीं कई मांगें व सुझाव
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरसी पंत से मिले और अनुरोध किया कि महिला चिकित्सालय अल्मोड़ा से बेवजह मरीजों को रेफर करने पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा भी उन्होंने कई अन्य मांगें सीएमओ को सौंपे पत्र में रखी हैं।

श्री पांडे ने सीएमओ डा. आरसी पंत से उनके कार्यालय में भेंट की और एक शिकायती व मांग पत्र उन्हें सौंपते हुए वार्ता की।अपने पत्र में उन्होंने शिकायत की है कि महिला चिकित्सालय अल्मोड़ में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को कई बार बेवजह रेफर कर दिया जाता है, जबकि अस्पताल में प्रसव के लिए सर्जरी की सुविधा है। ऐसे में बार—बार रेफर करने की प्रवृति को रोका जाना चाहिए, ताकि गर्भवती महिलाओं व उनके तीमारदारों को फजीहत नहीं उठाने पड़े। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि महिला अस्पताल में लिपिक व फार्मेसिस्टों पर अतिरिक्त कार्यबोझ पड़ रहा है। उन्होंने अस्पताल में कर्मचारियों की कमी को दूर करते हुए कर्मचारियों से सिर्फ वहीं कार्य लिया जाए, जिसके लिए उनकी तैनाती हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता ने जिला अस्पताल में स्टाफ नर्स की कमी भी दूर करने की मांग की है। उन्होंने कई मांगें उठाई हैं। श्री पांडे ने बताया है कि सीएमओ ने उन्हें मांगें व सुझावों पर गम्भीरतापूर्वक अतिशीघ्र विचार करने की बात कही है।
ये हैं अन्य मांगें/सुझाव

➡️ चिकित्सालय में नि:शुल्क होने वाली पैथोलॉजी जांचों की मरीजों व तीमारदारों को जानकारी के लिए हर वार्ड में फ्लेक्सी व पोस्टर चस्पा की जाए।
➡️ चिकित्सालय में सुविधा के बाद भी बाहर से जांच कराने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों व कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जाए।
➡️ यदि सरकार द्वारा अनुबंधित निजी पैथोलॉजी की जाचें रिपोर्ट में कुछ खामियां पाई जाती हैं, तो इसकी लिखित सूचना चिकित्सकों द्वारा जनहित में उच्चाधिकारियों को देनी चाहिए।
➡️ जिला चिकित्सालय व महिला चिकित्सालय में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के अवकाश में जाने के दौरान उनका प्रभार किसी योग्य अधिकारी को दिया जाए, ताकि अस्पतालों की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चले।
➡️ चिकित्सालयों को नो—स्मोकिंग जोन घोषित करते हुए परिसर के अंदर बीड़ी, सिगरेट, गुटका आदि प्रतिबंधित किए जाएं और उल्लंघन करने वाले का चालान किया जाए।
➡️ जन असुविधा को देखते हुए जिला चिकित्सालय में सिटी स्कैन मशीन को स्थापित की जाए।
➡️ बेस व जिला चिकित्सालय में ऑक्सीजन प्लांट में बूस्टर उपकरण को लगाया जाए।
➡️ रोगियों के लिए जन औषधी केंद्र के माध्यम से सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं।
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