Big News: राज्य में क्षेत्रीय दलों में ‘एका’ पर बनी सहमति, अल्मोड़ा में डा. शमशेर​ सिंह बिष्ट की पुण्य तिथि पर संवाद में अंकुरित हुआ एकता का बीज

— क्षेत्रीय दलों की एकता समय की जरूरत—ऐरीसीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाउत्तराखण्ड लोकवाहिनी के पूर्व अध्यक्ष डा. शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्यतिथि पर क्षेत्रीय दलों में…

— क्षेत्रीय दलों की एकता समय की जरूरत—ऐरी
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखण्ड लोकवाहिनी के पूर्व अध्यक्ष डा. शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्यतिथि पर क्षेत्रीय दलों में एका की सहमति बनी और उत्तराखंड के हित में क्षेत्रीय राजनैतिक दलों की एकता को समय की जरूरत बताया गया। यहां आयोजित संवाद कार्यक्रम के जरिये उत्तराखंड लोक वाहिनी ने राज्य के क्षेत्रीय दलों की एकता की पहल की।

दरअसल, स्व. शमशेर सिंह बिष्ट की तृतीय पुण्यतिथि पर आज यहां सेवाय होटल में शमशेर स्मृति समारोह आयोजन समिति के बैनर तले संवाद आयोजित किया गया। जिसका विषय ‘उत्तराखण्ड के भू—कानून एवं क्षेत्रीय दलों के एकता की दरकार’ था। इसमें मुख्य अतिथि उकांद के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने कहा कि उक्रांद उत्तराखण्ड के सवालों को लेकर संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि जिस तरह बंगाल में केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी, क्षेत्रीय पार्टी के आगे धराशाई हो गई, ठीक ऐसी ही जनचेतना का उभार उत्तराखण्ड में भी नितांत जरूरी है। उन्होंने कहा कि 20 सालों में उत्तराखण्ड में केवल ठगी हो रही है। पर्वतीय राज्यों में से अकेले उत्तराखण्ड में ही जमीनों की लूट मची है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियां निर्णायक भूमिका में नहीं आ सकी हैं। राज्य के सभी निर्णय सत्ता पर ही निर्भर होते हैं।

उन्होंने कहा कि भूमि प्रबंधन राज्य का मामला है और इसके लिये केन्द्र पर निर्भरता की जरूरत नहीं है। श्री ऐरी ने कहा कि उकांद क्षेत्रीय राजनैतिक दलों की एकता के लिए उत्तराखंड लोक वाहिनी की पहल का स्वागत करता है। उन्होंने वाहिनी के अध्यक्ष राजीव साह से पहल को आगे बढ़ाने की अपील की और इसके लिए जल्द एक बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया।

इससे पहले उत्तराखंड लोक वाहिनी के नेता एड. जगत रौतेला ने आज के संवाद के औचित्य पर प्रकाश डाला और कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर बिना राजनैतिक एकता के पहाड़ के जनमुद्दों की उपेक्षा होती रहेगी। इसके लिये ठोस संगठित प्रयास जरूरी है। पूर्व विधायक नारायण सिंह जन्तवाल ने कहा कि राज्य बने दो दशक हो गये, लेकिन अभी तक परिसम्पत्तियों के हक—हकूक उत्तराखंड को नहीं मिले। वहीं ईश्वर दत्त जोशी ने जन विरोधी भूमि कानूनों के क्रमिक विकास व उनके खिलाफ होने वाले जन संघर्षो पर प्रकाश डाला तथा ससक्त भू—कानून की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि त्रिवेन्द्र सरकार के भू—कानूनों ने उत्तराखण्ड में जमीन की लूट खसोट को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में संघर्ष व समाधान के मुद्दों पर क्षेत्रीय दलों की एकता सम्भव है।

इस मौके पर कुमाऊंनी पत्रिका पहरू के संपादक डा. हयात रावत ने कुमाउनी लोक संस्कृति व कुमाऊंनी भाषा पर क्षेत्रीय दलों से कार्य करने की अपील की। संवाद में चन्द्रशेखर कापड़ी ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में युवा संवाद की ओर से कुणाल तिवारी, भाष्कर भौर्याल, उदय किरौला, राम सिंह, बसन्त खनी, पूरन चन्द्र तिवारी व जगत रौतेला ने सामूहिक रूप से जन गीत गाते हुए डा. शमशेर सिह बिष्ट को श्रद्धांजलि दी। अंत में अजय मित्र बिष्ट ने सभी का आभार जताया।

संवाद का संचालन वाहिनी के वरिष्ठ नेता पूरन चन्द्र तिवारी व दयाकृष्ण काण्डपाल ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में जंग बहादुर थापा, शमशेर जंग गुरुंग, रेवती बिष्ट, कुणाल तिवारी, उक्रांद के भानु जोशी, शिवराज बनौला, गिरीश लाल साह, आप के अमित जोशी, नन्द लाल साह, अखिलेश टम्टा समेत अनेक लोग शामिल हुए।

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