यहां Corona warriors की हरकत ने किया शर्मसार, इलाज का bill चुकाने में असमर्थ हुआ patient तो bed पर रस्सियों से बांधा, investigation started ! पढ़िये कहां का है यह बहुचर्चित मामला…..

मध्य प्रदेश। यहां शाजापुर के प्राइवेट अस्पताल ने कोरोना मरीज के साथ एक ऐसी हरकत की, जिससे एक बार फिर कोरोना काल में निजी अस्पतालों…

मध्य प्रदेश। यहां शाजापुर के प्राइवेट अस्पताल ने कोरोना मरीज के साथ एक ऐसी हरकत की, जिससे एक बार फिर कोरोना काल में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि उपचार का बिल नही देने पर अस्पताल के कोरोना वॉरियर्स (डॉक्टरों) ने मरीज को चारपाई से बाध दिया।
यह बहुचर्चित मामला मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक निजी अस्पताल का बताया जा रहा है। यहां बुजुर्ग मरीज को बेड से बांध दिया गया, क्योंकि उसके पास इलाज का बिल चुकाने के रूपये नही थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कही है। शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा, ‘शाजापुर के एक अस्पताल में वरिष्ठ नागरिक के साथ क्रूरतम व्यवहार का मामला संज्ञान में आया है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
आपको बता दें​ कि राजगढ़ जिले से आए बुजुर्ग शाजापुर के अस्पताल में भर्ती हुए थे। बुजुर्ग की बेटी का आरोप है कि अस्पताल ने दो बार उनसे रुपये जमा करवाए। जब उसके पास पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने घर जाने की बात कही। इस पर अस्पताल कर्मियों ने बकाया राशि वसूलने के बदले पिता को बेड से बांध दिया। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने सभी आरोपों से इंकार किया है।
चिकित्सकों की ओर से कहा गया है कि बुजुर्ग को दिमागी बुखार है, उन्हें झटके भी आ रहे थे। इसलिए सुरक्षा को देखते हुए उन्हें बांधा गया था। फिलहाल इस पूरे मामले की जांच चल रही है।

यह था मामला
राजगढ़ जिले के ग्राम रनारा निवासी 60 वर्षीय लक्ष्मीनारायण दांगी को पेट संबंधी तकलीफ के कारण 1 जून को शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उपचार से मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और वह डिस्चार्ज होकर घर जाना चाहते थे। मरीज की बेटी सीमा दांगी ने बताया कि वे अपने घर जाने लगे तो अस्पताल के स्टाफ ने बिल की राशि चुकाने को कहा। स्टाफ ने बिल के भुगतान होने तक पिता को बेड पर लाकर बांध दिया। इस घटना की तस्दीक वहां भर्ती अन्य मरीज भी कर रहे हैं। जिससे जाहिर होता है कि अस्पताल प्रशासन खुद को बचाने के लिए झूठ का सहारा ले रहा है।

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