सीएनई रिपोर्टर, रानीखेत
पर्यावरण संरक्षण को लेकर रानीखेत के इस दंपत्ति द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं, वह निश्चित रूप से समाज के लिए अनुकरणीय पहल है। यह पति—पत्नी विगत कई सालों से लगातार पौधारोपण कर जंगलों को हरा—भरा करने की मुहिम चलाए हैं। खास बात यह है कि यह काम इनके द्वारा कोई अख़बारों की सुर्खियां बटोरने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन के सबसे जरूरी कामों में से एक है।
उल्लेखनीय है कि रानीखेत निवासी सतीश चंद्र पाण्डेय व उनकी पत्नी लीला देवी पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार प्रयासरत हैं। प्रकृति प्रेमी यह दंपत्ति अपने दैनिक जीवन से जुड़े कार्यों में सर्वाधिक प्राथमिकता पौधारोपण को देते हैं। उनका मानना है कि जैसे हम पूरे दिन अपने अन्य जरूरी काम—काम निपटाते हैं, वैसे ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ समय भी देना चाहिए। यह दंपत्ति ने साल 2011 से 2016 के बीच रानीखेत के मुक्तिधाम में जंगल को विकसित करने का काम कर चुका है। उनका कहना है कि यह उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। गत दिवस भी हरेला पर्व पर उन्होंने हर साल की तरह 251 वृक्ष पौध लगाये। यह वृक्ष पौध ग्राम गंगोड़ा, अभ्याड़ी, कोटली आदि क्षेत्रों में लगाये गये।
पाण्डेय दंपत्ति ने बताया कि इस बार पौधारोपण के दौरान उन्होंने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि जंगलों में रहने वाले पशु—पक्षियों को भोजन के लिए शहर नहीं आना पड़े। यही सोचकर इस बार फलदार प्रजाति के वृक्ष पौध रोपे गये हैं। इस बार उन्होंने बांज, देवदार, अमरूद व अनार के पौध लगाये हैं। दंपत्ति का कहना है कि उत्तराखंड के जंगलों को हरा—भरा बनाने के लिए हर किसी को अवश्य फलदार पौधों का रोपण करना चाहिए।