विवेकानंद के विचारों के साथ व्यक्तित्व विकास में खासा योगदान देगी नई शिक्षा नीति

👉 सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी👉 स्वामी विवेकानंद के विचारों को पाठ्यक्रमों में मिलेगी जगह सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य…

विवेकानंद के विचारों के साथ व्यक्तित्व विकास में खासा योगदान देगी नई शिक्षा नीति

👉 सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
👉 स्वामी विवेकानंद के विचारों को पाठ्यक्रमों में मिलेगी जगह

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना है और यह लक्ष्य प्राप्त करने में स्वामी विवेकानंद के विचारों पर चलना बेहद जरूरी है। व्यक्तित्व विकास में नई शिक्षा नीति अहम् योगदान देगी। यह बात आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के मुख्य आडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में प्रमुख वक्ताओं ने कही। वहीं कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को स्नातक व परास्नातक के पाठ्यक्रम में जगह मिलेगी। दरअसल, आज आजादी के अमृतकाल के चलते जी—20 के तहत रामकृष्ण मिशन की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय एवं राम कृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में मुख्य आडिटोरियम में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। जिसका विषय था—’राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्वामी विवेकानन्द के विचारों का समावेश’। आगे पढ़िये…

संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। सेमिनार में रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानन्द महाराज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा बरबस अपनी ओर खींचती है। यह ऐसी धरती है, जहां स्वामी विवेकानन्द के साथ ही कई महान संतों का आगमन हुआ और उन्होंने इस नगरी में आध्यात्मिक वातावरण को समृद्ध किया है। उद्घाटन से पहले अतिथियों का बैज अलंकरण कर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत हुआ। संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अद्वेत आश्रम, मायावती चंपावत एवं कलकत्ता के स्वामी शुद्धिदानंद महाराज ने नवीन शिक्षा नीति में विवेकानन्द के विचारों को समाविष्ट करने की जानकारी दी। आगे पढ़िये…

विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों, समावेशी शिक्षा को लेकर सोच व धर्म सम्मेलन में प्रस्तुत भाषणों के प्रसंगों को रखते हुए कई जानकारियां रखी और कहा कि विवेकानन्द का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारे व्यक्तित्व का विकास नहीं है, तो हमारे मनुष्य होने का कोई अर्थ नहीं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करने में अहम योगदान देगी, क्योंकि नवीन शिक्षा नीति में विवेकानन्द के विचारों को समाहित किया गया है। आगे पढ़िये…

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों, मूल्यों व संस्कारों से जुड़े विचार आज समाज की आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों, मूल्यों, संस्कारों एवं भारतीय संस्कृति को चरितार्थ करते हुए पाठ्यक्रमों में जगह दी जाएगी। उन्होंने कहा कि स्नातक एवं परास्नातक की कक्षाओं में विवेकानन्द के विचारों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। कुलपति बोले कि स्वामी विवेकानन्द एक व्यक्ति ही नहीं अपितु एक संस्थान थे। उनके विचारों को आत्मसात करने की बहुत आवश्यकता है। आगे पढ़िये…

स्ट्रोबेल (स्वीट्जरलैंड) के डॉ. आशुतोष उर्स ने वेदांत, उपांग, अष्टांग योग की चर्चा की। उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान व वैदिक ज्ञान को उदाहरण सहित समझाया। शिक्षाविद मरीना क्रोशिया ने कहा कि बच्चे हमारा भविष्य हैं। उन्हें शिक्षित बनाना बेहद जरूरी है। आधार व्याख्याता रामकृष्ण मिशन एवं मठ, बेलूर मठ हावड़ा, पश्चिम बंगाल के स्वामी वेद निष्ठानंद महाराज, डॉ. शैलेश उप्रेती एवं ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के प्रो. मिल्टन देव ऑनलाइन संगोष्ठी से जुड़े। संगोष्ठी की संयोजक प्रो. भीमा मनराल ने आभार जताते हुए कहा की विवेकानन्द के आदर्श और विचार व्यक्तित्व का विकास करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा संकाय समाजपयोगी सेमिनारों का आयोजन करता रहेगा। उद्घाटन के उपरांत तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ। समानांतर चले दो तकनीकी सत्रों में डॉ. ममता पंत एवं डॉ. गिरीश चन्द्र जोशी ने अध्यक्षता की जबकि पूजा नेगी ने संचालन किया। कई शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। सेमिनार से संबंधित डॉ. रिजवाना सिद्धिकी की सम्पादित पुस्तकों का विमोचन हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने किया। आगे पढ़िये…

प्रमुख रुप से संगोष्ठी में शामिल लोगों में रामकृष्ण मिशन एवं मठ, बेलूर मठ हावड़ा, पश्चिम बंगाल के स्वामी वेद निष्ठानंद महाराज, ढाका विश्वविद्यालय बांग्लादेश के प्रो. मिल्टन देव, स्ट्रोबेल (स्वीट्जरलैंड) के डॉ. आशुतोष उर्स, शिक्षाविद् मरीना क्रोशिया, संगोष्ठी की संयोजक प्रो. भीमा मनराल, परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, आयोजक सचिव डॉ. चन्द्र प्रकाश फुलोरिया रहे। समापन सत्र के अध्यक्ष रामकृष्ण मिशन आश्रम, कानपुर के सचिव स्वामी आत्म श्रद्धानंद महाराज रहे। सेमिनार में कुलसचिव भाष्कर चौधरी, प्रो. कौस्तुबानन्द पांडे, प्रो. विद्याधर सिंह नेगी, डॉ. संगीता पवार, डॉ. ममता असवाल, प्रो. इला साह, प्रो. शेखर जोशी, डॉ. प्रीति आर्या, डॉ. ममता पंत, डॉ. पारुल सक्सेना, डॉ. धनी आर्या, डॉ. नीता भारती, डॉ. संदीप पांडे, डॉ. बलवंत आर्या, डॉ. अंकिता, डॉ. ममता कांडपाल, डॉ. देवेंद्र चनियाल, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. ममता कांडपाल, डॉ. अशोक उप्रेती, डॉ. सरोज जोशी, डॉ. ललिता रावल, डॉ. लल्लन कुमार, कुंदन लटवाल, प्रकाश भट्ट, डॉ. प्रेम प्रकाश पांडे, डॉ. मनोज कार्की, डॉ. पूजा, डॉ. गिरीश जोशी, कुलपति के वैयक्तिक सहायक विपिन जोशी आदि समेत कई शोधार्थी, शिक्षक एवं विद्यार्थी शामिल रहे।
सर्किट के मानचित्र का लोकार्पण

आज सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में ‘स्वामी विवेकानन्द स्प्रिचुअल स्टडी सेंटर सर्किट’ के मानचित्र का लोकार्पण किया गया। यह लोकार्पण स्वामी ध्रुवेशानन्द महाराज एवं कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने किया। इस मौके पर आध्यात्मिक सर्किट स्टडी सेंटर का उद्देश्य समझाते हुए कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी कुमाऊं यात्रा में जिन स्थानों में अपने कदम रखे, वहां स्टडी सेंटरों की स्थापना कर विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानंद से परिचय कराना है। इन स्थानों में काठगोदाम, नैनीताल, काकड़ीघाट, विवेकानन्द शिला, लाल बद्री शाह हाउस, कसारदेवी, देवलधार, बिनसर डाक बंगला, ओकले हाउस, थॉम्पसन हाउस, स्याहीदेवी, धारी डाक बंगला, पहाड़पानी, मौरनॉला, धुनाघट, अद्वैत आश्रम, मायावती, खटीमा हैं। जिनको मिलाकर सर्किट से जोड़ा जाएगा।

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