Haldwani : गर्भवती को भगाने व गेट पर प्रसव मामले में महिला अस्पताल के डाक्टर व नर्सिंग अधिकारी पर गिरी गाज

देहरादून/हल्द्वानी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने राजकीय महिला चिकित्सालय, हल्द्वानी के गेट पर गर्भवती महिला के प्रसव की…

देहरादून/हल्द्वानी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने राजकीय महिला चिकित्सालय, हल्द्वानी के गेट पर गर्भवती महिला के प्रसव की घटना को गंभीरता से लेते हुए आरोपित चिकित्सक डा. दिशा बिष्ट के निलंबन की संस्तुति शासन से कर दी है। साथ ही लेबर रूप में तैनात नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय सचिव राधिका झा को घटना की जांच कर तीन दिन के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न कराना अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही है।

हल्द्वानी महिला चिकित्सालय में 8 जुलाई को खटीमा टेढ़ाघाट निवासी 22 वर्षीय गर्भवती प्रीति को चिकित्सालय में भर्ती करने के स्थान पर उसे बाहर भगा दिया था। कहा गया था कि डा. सुशीला तिवारी अस्पताल चले जाओ। उस समय रात के दो बजे थे।

अस्पताल के बाहर महिला का प्रसव

अस्पताल के बाहर दो घंटे गर्भवती तड़पती रही। सुबह चार बजे गेट पर महिला का प्रसव हो गया। यह घटना सुर्खियां बनी तो स्वास्थ्य मंत्री ने इसकी विस्तृत जांच के निर्देश दिए। सीएम पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में प्रकरण के आने के बाद उन्होंने महानिदेशक स्वास्थ्य को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।

इस क्रम में सचिव स्वास्थ्य ने स्वास्थ्य महानिदेशक डा. शैलजा भट्ट से जानकारी तलब की। इस मामले में गठित जांच समिति ने शाम को अपनी रिपोर्ट महानिदेशालय को भेज दी। बताया गया कि गर्भवती महिला को पूर्व में आशा कार्यकर्ता की सहायता से नागरिक चिकित्सालय, खटीमा में भर्ती कराया गया था। वहां सिजेरियन की व्यवस्था न होने पर गर्भवती को हल्द्वानी रेफर दिया गया।

डाक्टर ने बिना गर्भवती को देखे STH रेफर किया

महिला अस्पताल में लेबर रूप में तैनात नर्सिंग अधिकारी की ओर से महिला की जांच किए बगैर ही इसकी जानकारी दूरभाष पर महिला चिकित्सक डा. दिशा बिष्ट को दी गई। महिला चिकित्सक ने बिना गर्भवती को देखे उसे सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज रेफर करने के निर्देश दिए। स्वजन गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया था।

स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा

समिति ने जांच में यह स्पष्ट किया कि रात्रिकालीन ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक द्वारा गर्भवती का स्वयं संपूर्ण परीक्षण नहीं किया गया और दूरभाष पर ही गर्भवती को रेफर करने के निर्देश दे दिए। जांच समिति की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य महानिदेशक ने नर्सिंग अधिकारी को निलंबित करने के साथ ही चिकित्सक के निलंबन की संस्तुति शासन से कर दी है। इससे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि मामले की हर पहलू से जांच होगी। इस तरह की घटनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने खुशियों की सवारी योजना के तहत गर्भवती महिलाओं का घर से अस्पताल और जच्चा, बच्चा को घर तक पहुंचाने की नि:शुल्क व्यवस्था की है। इसके लिए विभाग द्वारा टोल फ्री नंबर 102 भी जारी किया गया है।

जांच को भी नहीं पहुंची आरोपित डाक्टर

जांच कमेटी के सामने जब यह सवाल आया कि आखिर डाक्टर को जांच के लिए क्यों नहीं बुलाया गया। तब कहा गया कि वह निजी कार्य से बाहर गई हैं। उनसे आनलाइन स्पष्टीकरण ले लिया गया था। इस मामले में अस्पताल पहुंचे एलिंग वेलफेयर नर्सेज फाउंडेशन के अध्यक्ष बबलू ने कहा कि जांच नियमानुसार होनी चाहिए। जांच में नर्सिंग स्टाफ को ही बुलाया गया। जबकि डाक्टर को भी मौके पर होना चाहिए था।

खटीमा अस्पताल से भी मामले की पूरी रिपोर्ट मंगाई गई। वहीं इस दौरान डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के प्रबंधन का भी पक्ष लिया गया। महिला पहले एसटीएच भी गई थी।

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